शिव अमोघ कवच शीघ्र फलदायी || Vaibhav Vyas


 शिव अमोघ कवच शीघ्र फलदायी

शिव की महिमा का कोई अंत नहीं है। शिवभक्तों की भक्ति भी अपनी अलग ही पहचान लिए हुए है। भगवान शिव ज्योतिर्लिग रूप में प्रकट हुए थे। इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के पालक भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल पर सृष्टि के सृजक ब्रह्माजी प्रकट हुए। दोनों में यह विवाद हुआ कि हम दोनों में श्रेष्ठ कौन है? विवाद जब बढऩे लगा तो वहां एक अद्भुत ज्योतिर्लिग प्रकट हुआ। उस ज्योतिर्लिंग को वे समझ नहीं सके और उन्होंने उसके छोर का पता लगाने का प्रयास किया, परंतु सफल नहीं हो पाए। दोनों देवताओं के निराश हो जाने पर उस ज्योतिर्लिंग ने अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं शिव हूं। मैंने ही आप दोनों को उत्पन्न किया है। तब विष्णु तथा ब्रह्मा ने भगवान शिव के महत्व को स्वीकार किया और उसी दिन से शिवङ्क्षलग की पूजा की जाने लगी।

शिव रूपी शब्द की उत्पत्ति वश कांतौ धातु से हुई है, जिसका मतलब यह होता है कि जिसको सभी लोग चाहते हैं, वही शिव भगवान का रूप है। जीवन में सभी लोग आनंद प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, यानी भगवान शिव का एक अर्थ आंनद नामक अनुभूति होना भी है। शिव नाम का एक अर्थ कल्याणकारी भी माना जाता है। ऐसे भगवान भोलेनाथ का शिव नाम यानी जो सभी को अत्यधिक प्यारा है। भगवान शंकर यूं तो भक्तों की ओर से की जाने वाली आराधना से प्रसन्न होते हैं, मगर विशेष मौकों पर शिवभक्तों की ओर से शिवङ्क्षलग पर किए जाने वाले जलाभिषेक एवं रुद्राभिषेक का अपना अलग ही महत्व होता है

महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर भक्त अपने-अपने तरीकों एवं विभिन्न प्रकार के मन्त्र उच्चारण से सदाशिव को प्रसन्न करते हैं।

वैसे तो शिव जी के किसी भी मंत्र या स्त्रोत का श्रवण-वाचन फलदायी रहता ही है, लेकिन अमोघ शिव कवच की महानता के बारे में जितना लिखा जाए कम है, क्योंकि इस महान एवं अति शीघ्र फल प्रदान करने वाले कवच की महानता का कोई दूसरा सार ही नहीं है। वैसे भी इसके नाम में ही इसका सारा छिपा हुआ है, अमोघ यानि सारी असीमित शक्ति के दाता। समस्त प्रकार के शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक कष्टों से मुक्ति दिलाने में ये कवच अपना महान प्रभाव रखता है। कवच का अर्थ ही होता है सुरक्षा, अर्थात जिस प्रकार सदियों पहले योद्धा एवं राजा युद्ध भूमि में जाने से पहले अपने शरीर की सुरक्षा हेतु लौह कवच धारण करते थे, ठीक उसी प्रकार हमारे ऋषि-मुनि भी अपने आपको सांसारिक कष्टों एवं दैहिक, दैविक एवं भौतिक सभी प्रकार की व्याधियों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए इन मान्त्रिक कवचों की रचना किया करते थे, जो युगों-युगों से प्रत्येक मानव सभ्यता के लिए उपयोगी सिद्ध होते आये हैं।

इस अमोघ शिव कवच का नियमित पाठ करने वाले उपासक  को अकाल मृत्यु, बीमारी, कोर्ट कचहरी एवं भयानक से भी भयानक विपत्तियों का भी कोई असर नहीं होता। ऐसी मान्यता है कि इस कवच का पाठ करने वाले साधक के शरीर के आस-पास एक सुरक्षा घेरा-सा बना रहता है जिससे किसी भी तरह की नकारात्मक शक्तियों का असर साधक या साधक के परिवार पर कदापि नहीं होता है। इस कवच का प्रतिदिन पाठ करने से प्रत्यक्षं किं प्रमाणं वाली बात सिद्ध हो जाती है यानि कवच करने वाले को इसका आभास मन के भीतर होने लगता है।

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