महाशिवरात्रि पर करें चार प्रहर की पूजा || Vaibhav Vyas


 महाशिवरात्रि पर करें चार प्रहर की पूजा

भगवान शिव का दिन महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ये पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा-आराधना से माता पार्वती और भोले बाबा अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। महाशिवरात्रि पूजा-अर्चना शुभ मुहूर्त में करना विशेष फलदायी रहता है। इस बार महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 1 मार्च को ये शिवरात्रि सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर बुधवार 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी। रात्रि की पूजा शाम को 6 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 33 मिनट तक होगी। शिवरात्रि में जो रात का समय होता है उसमें चार पहर की पूजा होती है।

1. पहले पहर की पूजा- 1 मार्च, 2022 शाम 6.21 मिनट से रात्रि 9.27 मिनट तक

2. दूसरे पहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 9.27 मिनट से 12.33 मिनट तक

3. तीसरे पहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 12.33 मिनट से सुबह 3.39 मिनट तक

4. चौथे प्रहर की पूजा- 2 मार्च सुबह 3.39 मिनट से 6.45 मिनट तक।

इस दिन व्रत पारणा का शुभ समय- 2 मार्च बुधवार को 6 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

महाशिवरात्रि की पूजा विधि- शिव रात्रि को भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान करा कराएं। केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं। पूरी रात्रि का दीपक जलाएं। चंदन का तिलक लगाएं। तीन बेलपत्र, भांग धतूरा, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं। सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें। पूजा में सभी उपचार चढ़ाते हुए ऊँ नमो भगवते रूद्राय, ऊँ नम: शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नम:, ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।

महाशिवरात्रि की पूजा सामग्री विशेष होती है। पूजा सामग्री में उन चीजों को प्रयोग में लाया जाता है जो भगवान शिव की प्रिय होती हैं। पूजा सामग्री में शुद्धता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। महाशिवरात्रि की पूजा में दही, मौली, अक्षत (चावल), शहद, शक्कर, पांच प्रकार के मौसमी फल, गंगा जल, जनेऊ, वस्त्र, इत्र, कुमकुम, पुष्प, फूलों की माला, खस, शमी का पत्र, लौंग, सुपारी, पान, रत्न, आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, धूप, शुद्ध जल के साथ-साथ इन चीजों को भी शामिल करते हैं- बेलपत्र भांग मदार धतूरा गाय का कच्चा दूध चंदन रोली कपूर और केसर।

चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी हैं-

प्रथम प्रहर में- 'ह्रीं ईशानाय नम:Ó

दूसरे प्रहर में- 'ह्रीं अघोराय नम:Ó

तीसरे प्रहर में- 'ह्रीं वामदेवाय नम:Ó

चौथे प्रहर में- 'ह्रीं सद्योजाताय नम:Ó।। मंत्र का जाप करते हुए पूजा करने से विशेष फलदायी रहती है।

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