महाशिवरात्रि पर पूजा-उपासना से करें भोलेनाथ को प्रसन्न || Vaibhav Vyas


 महाशिवरात्रि पर पूजा-उपासना से करें भोलेनाथ को प्रसन्न

वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर भोलेनाथ के भक्त इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करके भोले बाबा को प्रसन्न करते हैं और व्रत-उपवास करके फलाहार करते हैं। भोले के भक्त सिर्फ उनकी भक्ति में मस्त और लीन रहते हैं।

महाशिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें। मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भर लें। सबसे पहले आप शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि से करें। ऐसी मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं। इसके पश्चात शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करना चाहिए। सुविधानुसार माला पर भी जप कर सकते हैं। फिर भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें। शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें।

संध्या के समय आप फलहार कर सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार उपासक को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए और अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें। महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण भी किया जाता है। महादेव के भजनों के साथ जागरण करें। शास्त्रीय विधि-विधान को मानें तो शिवरात्रि का पूजन 'निशीथ कालÓ में करना सबसे उत्तम है। भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से अपनी सुविधानुसार कभी भी उनका पूजन कर सकते हैं। अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए।

महाशिवरात्रि भगवान शिव को प्रसन्न करने और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने का उत्सव है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और महाशक्ति का मिलन हुआ था। वहीं ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को भोलेनाथ दिव्य ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। धार्मिक मान्यता यह है कि इस दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान के बाद भक्ति भाव और विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन एवं अभिषेक करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, उन्हें किसी तरह का कोई भय नहीं रहता। विवाहित महिलाओं को अपने सौभाग्य में वृद्धि के लिए तथा अविवाहित कन्याओं को शीघ्र विवाह तथा गुणवान पति पाने की अभिलाषा के साथ इस दिन व्रत रखना तथा भगवान शिव का अभिषेक करना विशेष रूप से लाभदायक होता है। शिवपुराण में वर्णित है कि भक्तिभाव से शिवलिंग पर अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए अलग-अलग फूल अर्पित करने चाहिए।

भक्ति और भाव से की गई पूजा से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होने वाले होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। भोलेनाथ की भक्ति और पूजा-उपासना आडम्बर रहित केवल भाव मात्र से ही करने पर उनकी कृपा के पात्र बनने वाले होते हैं। इसलिए इस दिन का सदुपयोग पूरे दिन मंत्र जाप और शिव स्त्रोत करते हुए व्यतीत करने से मन को आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होने वाली रहती है। शास्त्रों के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र और ऊँ नम: शिवाय मंत्र स्वयं सिद्ध माने गए हैं। इसी वजह से इन मंत्रों का जाप कभी भी और कहीं भी यानि चलते-फिरते-घूमते हुए भी किए जा सकते हैं। इन का मन ही मन जाप मन में सकारात्मक भावों को जाग्रत करने वाला माना गया है।

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