बेहतर स्वास्थ्य के लिए करें सूर्य नमस्कार || Vaibhav Vyas

 

बेहतर स्वास्थ्य के लिए करें सूर्य नमस्कार

आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।

आयु: प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते॥

अर्थात् जो जातक सूर्य नमस्कार रोज करते हैं उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है। सूर्य नमस्कार रोज करने से त्वचा जनित रोग दूर होते है। कब्ज- पेट के रोगों में लाभ होता है। अध्यात्मिक पहलू है कि सूर्य नमस्कार मंत्रों के साथ सूर्य नमस्कार से सूर्य देव प्रसन्न होकर कृपा द्रष्टि बनाए रखते है।

पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2022, शुक्रवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। मकर संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन सूर्य नमस्कार और सूर्य मंत्रों का जाप विशेष फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य नमस्कार करने से स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को बल मिलता है। सूर्य नमस्कार को 12 आसनों का संगम बताया गया है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास सुबह खाली पेट करना अच्छा माना गया है। सूर्य नमस्कार की शुरुआत प्रणाम मुद्रा से होती है। इसके बाद हस्त उत्तानासन, पाद हस्तासन या पश्चिमोत्तनासन, अश्व संचालन आसन, पर्वतासन, अष्टांग नमस्कार और भुजंगासन किया जाता है। वैज्ञानिक अनुमान है कि एक सूर्य नमस्कार (12 आसन) करने के दौरान तकरीबन 13.90 कैलोरी बर्न होती है। सामान्यत: 12 सूर्य नमस्कार से शुरुआत कर निरंतर अभ्यास से इसे 108 तक बढ़ा सकते हैं। मकर संक्रांति से इसका आरंभ करना विशेष महत्व रखने वाला होता है।

सूर्य नमस्कार नियमित करने से स्वास्थ्य बेहतर होता है। पाचन तंत्र बेहतर बनाता है। पेट की चर्बी और मोटापा कम होता है। शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। तनाव दूर होता है। शरीर में शरीर में लचीलापन आता है। महिलाओं में मासिक-धर्म नियमित होने लगता है। रीढ़ की हड्डी को भी पर्याप्त मजबूती मिलती है।

मकर संक्रांति सूर्य पूजा का पर्व है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा है। स्नान के बाद जरूरतमंदों को सूर्य से संबंधित चीजें दान करना चाहिए। कुंडली में सूर्य की शुभ-अशुभ स्थिति का अच्छा या बुरा असर हमारी बुद्धि पर और मान-सम्मान पर होता है। सूर्य की शुभ स्थिति समाज में मान-सम्मान भी दिलवाती है। सूर्य पूजा से स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं।

स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें। जल में चावल, लाल फूल डालकर सूर्य को अघ्र्य चढ़ाएं। जल चढ़ाने के बाद सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करें। इस पाठ के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना से करें।

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