सूर्य मंत्र जाप से रोगों से मुक्ति || Vaibhav Vyas


 सूर्य मंत्र जाप से रोगों से मुक्ति

सनातन धर्म में पौष माह का विशेष महत्व है। इस माह में सूर्य उत्तरायण होता है। वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों में निहित है कि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। जब महाभारत काल में धनुर्धर अर्जुन की बाणों से भीष्म पितामह घायल हो गए। उस समय सूर्य दक्षिणायन था। इस वजह से उन्होंने अपना प्राण नहीं त्यागा। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि दिन के उजाले और सूर्य के उत्तरायण रहने पर प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उसे पुन: पृथ्वी पर वापस नहीं आना पड़ता है। इसके चलते भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया। अत: पौष का महीना बेहद ख़ास होता है।

इसी वजह से पौष मास में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। सूर्य उपासना शीघ्र फलदायी मानी गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चाक्षुषोपनिषद के नित्य पाठ से नेत्र रोग ठीक होते हैं। हमारे यहां पंच उपासन पद्धतियों का विधान हैं, जिनमें शिव, विष्णु, गणेश सूर्य एवं शक्ति की उपासना की जाती हैं। नवग्रहों में सर्वप्रथम ग्रह सूर्य हैं जिसे पिता के भाव कर्म का स्वामी माना गया हैं। ग्रह देवता के साथ-साथ सृष्टि के जीवनयापन में सूर्य का महत्वपूर्ण योगदान होने से इनकी मान्यता पूरे विश्व में हैं। नेत्र, सिर, दात, नाक, कान, रक्तचाप, अस्थिरोग, नाखून, हृदय पर सूर्य का प्रभाव होता हैं ये तकलीफें व्यक्ति को सूर्य के अनिष्टकारी होने के साथ-साथ तब भी होती हैं जब सूर्य जन्मपत्रिका में प्रथम, द्वितीय, पंचम, सप्तम या अष्टम भाव पर विराजमान रहता हैं। तब व्यक्ति को इसकी शांति उपाय से सूर्य चिकित्सा करनी चाहिये।

यदि कोई सूर्य का जाप मंत्र या पाठ प्रति रविवार को 11 बार कर ले तो व्यक्ति यशस्वी होता हैं। प्रत्येक कार्य में उसे सफलता मिलती हैं। सूर्य की पूजा-उपासना यदि सूर्य के नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा एवं कृतिका में की जाये तो बहुत लाभ होता हैं। सूर्य के इन नक्षत्रों में ही सूर्य के लिए दान पुण्य करना चाहिए। संक्रांति का दिन सूर्य साधना के लिए सूर्य की प्रसन्नता में दान पुण्य देने के लिए सर्वोत्तम हैं। सूर्य की उपासना के लिए महत्वपूर्ण मंत्र की साधना में- ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी रहता है।

सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: व्यक्ति चलते-चलते, दवा लेते, खाली समय में कभी भी करता रहे लाभ मिलता है। तंत्रोक्त मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का ग्यारह हजार जाप पूरा करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं। नित्य एक माला पौराणिक मंत्र का पाठ करने से यश प्राप्त होता हैं। रोग शांत होते हैं। सूर्य गायत्री मंत्र के पाठ जाप या 24000 मंत्र के पुनश्चरण से आत्मशुद्धि, आत्म-सम्मान, मन की शांति होती हैं। आने वाली विपत्ति टलती हैं, शरीर में नये रोग जन्म लेने से थम जाते हैं। रोग आगे फैलते नहीं, कष्ट शरीर का कम होने लगता हैं। अध्र्य मंत्र से अध्र्य देने पर यश-कीर्ति, पद-प्रतिष्ठा पदोन्नति होती हैं।

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