मौनी अमावस्या पर पितर तर्पण और संगम स्नान का महत्व || Vaibhav Vyas


 मौनी अमावस्या पर पितर तर्पण और संगम स्नान का महत्व

वैसे तो किसी भी मास में अमावस्या के दिन दान-पुण्य, स्नान और पीपल पूजन और नदी-सरोवर में स्नान के पश्चात पितरों के निमित तर्पण करना महत्वपूर्ण होता ही है, लेकिन माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को इन सभी का महत्व कई गुना बढ़ जाता है और इस दिन किए गए कार्य-उपायों से शीघ्र फल की प्राप्ति होने वाली मानी जाती है।

इस बार माघ मास में कृष्ण पक्ष की तिथि मौनी अमावस्या होती है, इसे माघ अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन नदियों में स्नान करने और दान करने से पाप मिटते हैं एवं पुण्य की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करने की भी परंपरा है, जिससे आत्मबल बढ़ता है। अमावस्या के दिन कुछ ज्योतिषीय उपाय करने से धन, दौलत एवं वंश में वृद्धि होती है।

मौनी अमावस्या के दिन पितरों को तृप्त करने से वे खुश होते हैं। इसके लिए पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान या श्राद्ध कर्म करने चाहिए। पितर खुश होते हैं, तो परिवार के सुख, समृद्धि, धन, दौलत एवं वंश वृद्धि का अशीर्वाद देते हैं। ऐसा करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। मौनी अमावस्या के दिन प्रात: काल स्नान के बाद सूर्य को विधिपूर्वक जल अर्पित करें. ऐसा करने से धन-धान्य बढ़ता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। मौनी अमावस्या को अपनी क्षमता के अनुसार गरीब या ब्राह्मण को दान करना चाहिए। इस दिन मौन व्रत रखने, मंत्र जाप करने एवं पीपल की पूजा करने से पाप एवं कष्ट दूर होते हैं। पीपल में सभी देवों का वास होता है, पीपल की पूजा करने से दोष दूर होते हैं, सुख एवं समृद्धि बढ़ती है।

कुंडली में चंद्र दोष है, तो मौनी अमावस्या के दिन दही, चावल, खीर, चांदी, सफेद वस्त्र आदि का दान करना चाहिए. या फिर गाय को दही और चावल खिलाना चाहिए, इससे चंद्रमा मजबूत होता है। यह सुख और सौभाग्य को बढ़ाता है। मौनी अमावस्या का दिन पावन है. इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पाप और ग्रह दोष मिट जाते हैं क्योंकि इस दिन देवी-देवताओं का वास गंगा नदी में माना जाता है।

कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए मौनी अमावस्या के दिन चांदी के नाग और नागिन का जोड़ा बनाकर उनकी पूजा करें, फिर उनको बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्धकर्म आदि करने से भी कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। ऐसा करने से पितृ दोष भी दूर होता है। मौनी अमावस्या को स्नान के बाद मसूर की दाल एवं कुछ रुपये किसी सफाईकर्मी को दान कर दें, इससे भी कालसर्प दोष का निवारण होता है। मौनी अमावस्या पर स्नान और दान के बाद भगवान शिव की पूजा करें और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। शिव कृपा से कालसर्प दोष मिट जाएगा।

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