मकर संक्रांति पर करें दान-पुण्य || Vaibhav Vyas


 मकर संक्रांति पर करें दान-पुण्य

सूर्य देव के राशि परिवर्तन वाले दिन को मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। इस दिन दान का बहुत महत्व है। सूर्य देव खुद संसार में सबसे बड़े दानी हैं, जिन्होंने खुद को तपाकर संसार को प्रकाश का दान करना स्वीकार किया है। इसलिए मकर संक्रांति पर जो भी कोई दान करता है, देवी लक्ष्मी उसका पता पूछते घर आती हैं। साथ ही खरमास की समाप्ति भी इसी दिन होती है। संक्रांति के गंगा में अन्य किसी नदी में स्नान कर तिल का दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को साड़ी-स्वेटर-शॉल और ऊनी वस्त्र आदि दान किया जाना चाहिए। खरमास की समाप्ति के कारण एक बार फिर से शादी, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य  शुरू हो जाते हैं और इनके बाद भी दान दिया जाता है। दान करने से पुण्य तो मिलता ही है, ज्योतिष के अनुसार यह कई संकटों को टालने और दूर करने का विशेष उपाय भी है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के दिन का बेहद ही खास महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि, यदि कोई व्यक्ति साल भर या पूरे महीने में कभी दान-पुण्य ना कर सके तो उसे मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य जरुर करना चाहिए। ऐसा करने से इंसान के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, घी, दाल चावल की खिचड़ी और तिल का दान करने से गलती से भी हुए पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है।

मकर संक्रांति के दिन स्नान करने के पानी में काले तिल डालें। तिल के पानी से स्नान करना बेहद ही शुभ माना जाता है। साथ ही ऐसा करने वाले व्यक्ति को रोग से मुक्ति मिलती है। यदि कोई बीमार है तो, उसे मकर संक्रांति के दिन तिल का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए, ऐसा करने से व्यक्ति की काया निरोगी बनी रहती है।

मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और सूर्य देव को चढ़ाए जाने वाले जल में तिल अवश्य डालें। माना जाता है कि ऐसा करने से इंसान की बंद किस्मत के दरवाजे खुलते हैं। पितरों की शांति के लिए इस दिन उन्हें जल देते समय उसमें तिल अवश्य डालें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

अगर व्यक्ति की कुंडली में सूर्य नीच का है तो, मकर संक्रांति के दिन घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करें और सूर्य मंत्र का 501 बार जाप करें। सूर्य देव की प्रसन्नता हासिल करने के लिए पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाना चाहिए। इसके अलावा इस दिन गुड़ और कच्चे चावल को बहते जल में प्रवाहित करने से भी सूर्य देव की प्रसन्नता हासिल होती है। कुंडली में मौजूद किसी भी तरह का सूर्य दोष को कम करने के लिए तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करें।

Comments