सुख-समृद्धि के लिए माघ मास में कर यज्ञ-हवन || Vaibhav Vyas


 सुख-समृद्धि के लिए माघ मास में कर यज्ञ-हवन

माघ का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस माह में प्रयागराज में एक महीने का कल्पवास करने का विधान है। मान्यता है कि इस माह पवित्र नदी में स्नान करने से कई जन्मों के पापों का शमन होता है। माघ मास में तिल के प्रयोग व दान की भी अनंत महिमा है। साथ ही रोगों से मुक्ति के लिए कुशोदक से पार्थिव का शिवलिंग बनाकर उसका विधिवत रुद्राभिषेक करना भी शुभ फलदायी रहता है। इस माह में यज्ञ-हवन आधि धार्मिक कार्यों से जीवन को धन-धान्य, सुखी तथा सम्पन्नता का वास होने वाला होता है।

इसके लिए माघ में प्रतिदिन किसी पवित्र नदी का स्नान करने के साथ इस समय भगवान शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है। प्रतिदिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करने से जमीन या मकान की प्राप्ति होगी। प्रतिदिन अन्न दान करने से कभी धन की कमी नहीं आती है। माघ माह में तिल, गुड़ तथा उड़द का प्रतिदिन दान करने से रोगों का विनाश होता है।

माघ माह में गरीबों में कम्बल व ऊनी वस्त्रों का दान अनंत पुण्यदायी है। यदि शारीरिक कष्ट से पीडि़त हैं तो इस समय महामृत्युंजय मंत्र का जप बहुत ही प्रभावी माना गया है। संतान प्राप्ति के लिए सन्तानगोपाल पूजा का यह समय बहुत ही उपयुक्त है। माघ माह में दुर्गासप्तशती का प्रतिदिन पाठ करें तथा यदि संभव हो तो सतचंडी यज्ञ भी करवाएं। ऐसा करने से भक्ति मिलती है व मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। गो माता को प्रतिदिन भोजन कराने से सम्पन्नता आएगी। इस समय श्री विष्णुसहस्रनाम के पाठ करने से विष्णु भक्ति की प्राप्ति होती है। इस माह श्री सूक्त की विधिवत पूजा व हवन करने से धन की प्राप्ति होती है तथा घर में सुख, शांति व आरोग्यता आती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने का संबंध श्रीकृष्ण के 'माधवÓ स्वरूप से माना जाता है। मान्यता है कि इस महीने का नाम माध ही था। बाद में यह माघ हो गया। यही वजह है कि इस माह में कन्हैयाजी की पूजा करने का विशेष फल बताया गया है। इस माह में मुरलीधर की पूजा करने से ग्रह दोष तो दूर होते ही हैं। साथ ही कन्हैया की कृपा से धन-वैभव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

माघ मास में श्रीकृष्ण की पंचोपचार पूजा करनी चाहिए। इसके लिए श्रद्धालुओं को 'ओम श्रीनाथाय नम:Ó मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र का उच्चारण श्रद्धानुसार 11, 21 और 51 बार कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए कोई एक समय तय कर लें, चाहे तो सुबह या फिर शाम लेकिन जिस वक्त इस मंत्र का जप शुरू करें, उसी समय पर नियमित रूप से पूजा करें। इस मंत्र से पूजा करने से जीवन में आ रही बड़ी से बड़ी परेशानी से राहत मिल जाती है।

मान्यता है कि श्री कृष्ण कर्मों के आधार पर ही व्यक्ति को फल देते हैं। लेकिन माघ मास में यदि श्री कृष्ण पर 8 मु_ी काले तिल चढ़ाकर जल में प्रवाहित करें तो वह अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

Comments