कृष्ण भक्ति से शनि की बाधाओं का भी निवारण || Vaibhav Vyas


 कृष्ण भक्ति से शनि की बाधाओं का भी निवारण

सृष्टि का पालन ईश्वर की क्रियात्मक शक्ति करती है और उस शक्ति का नाम कृष्ण है। बिना कृष्ण के न तो सृष्टि का अस्तित्व है और न ही पालन। ग्रह, नक्षत्र, देवी, देवता, मानव, असुर, शुभ-अशुभ सब कृष्ण के ही अधीन हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनि भी कृष्ण की शक्ति के ही अधीन है। उसके अनुसार शनि देव श्री कृष्ण के परम भक्त हैं- उनके अंदर, न्याय, ईमानदारी और अनुशासन कृष्ण कृपा से ही आता है। ऐसी भी मान्यता है कि कृष्ण के ध्यान में डूबे होने के कारण उन्हें अपनी पत्नी से शाप भी मिला था। सिवाय मधुरता के शनि के अंदर बहुत सारे गुण श्री कृष्ण की तरह हैं। जो लोग श्रीकृष्ण के भक्त होते हैं, शनि उन्हें छू भी नहीं सकते। इसलिए नियमित रूप से श्री कृष्ण की पूजा करने से श्रीकृष्ण की कृपा के साथ-साथ शनि देव संबंधी बाधाओं का निवारण भी स्वत: होने लगता है।

इसके लिए श्रीकृष्ण को गुरु रूप में स्थापित करें। दोनों वेला उन्हें पीले फूल और तुलसी दल चढ़ाएं। उन्हें और स्वयं को चंदन का तिलक जरूर लगाएं। इसके बाद दोनों हाथ उठाकर हरि कीर्तन करें। चाहें तो कृष्ण कृष्ण के नाम का जाप करें। भोजन पूर्ण सात्विक करें। अगर शनि की साढ़े साती या ढैया पीड़ा दे रही हो तो श्रीकृष्ण के सम्पूर्ण चित्र या मूर्ति की स्थापना करें। उन्हें नित्य चंदन, पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। इसके बाद कृष्ण मंत्र का दोनों वेला कम से कम 108 बार जाप करें। कृष्ण मंत्र- ऊँ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेश नाशाय, गोविन्दाय नमो-नम:।। अगर शनि के कारण रोजगार, स्वास्थ्य या आयु का संकट हो तो भगवान कृष्ण के चित्र की स्थापना करें, जिसमें वह गाय के साथ हों।  नित्य प्रात: उन्हें तुलसी दल डालकर पंचामृत अर्पित करें। इसके बाद श्रीकृष्णम् शरणम् मम का जाप करें।  पंचामृत का प्रसाद ग्रहण करें। यह प्रयोग लगातार 27 दिनों तक करें। प्रात:काल सूर्य को रोली मिलाकर जल अर्पित करें। मस्तक या कंठ पर रोली का तिलक लगाएं। पूरे दिन के कार्यों में सफलता मिलेगी

जिस तरह सावन के महीने में शिव की और कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु की आराधना की जाती है, ठीक उसी तरह पौष के महीने में कृष्ण भगवान की आराधना विशेष रूप से की जाती है। माना जाता है कि अगर इस पूरे महीने कृष्ण की भक्ति कर ली जाए तो किस्मत चमक जाती है।

कहते हैं भगवान कृष्ण का आशीर्वाद हासिल करना हो तो श्रीमद्भगवद्गगीता का पाठ अवश्य रूप से करना चाहिए। चूंकि यह महीना कृष्ण की आराधना को ही समर्पित होता है इसीलिए इस पूरे महीने रोजाना श्रीमद्भगवद्गगीता का पाठ करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं।

भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त करनी है तो इस पूरे महीने रोजाना जब भी सुबह-शाम पूजा करें तो ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय  इस मंत्र का जाप करना ना भूले। इस मंत्र के जाप से नंदलाल प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं।

भगवान कृष्ण को तुलसी प्रिय होती है। इसीलिए कृष्ण की पूजा को समर्पित इस खास महीने में उन्हें तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाएं तो अति शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा दिन में जब भी समय मिले श्रीकृष्ण के मंत्रों के जाप का उच्चारण करते रहने से बाधाएं स्वत: दूर होने लगती है और आने वाली बाधाओं का निवारण होने लगता है। अर्थात् कृष्ण की आराधना में लीन रहे और उनके भजन कीर्तन में अधिक से अधिक समय बिताना चाहिए।

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