चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा शीघ्र फलदायी || Vaibhav Vyas

 चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा शीघ्र फलदायी

सनातन धर्म में हर तिथि का अपना अलग महत्व है। हर माह के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि गणेश जी को समर्पित है। पौष कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है वहीं, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। पौष माह के शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी 6 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन वरद चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन गणेश जी की पूजा-उपासना शीघ्र फलदायी होती है। सच्चे मन से श्रद्धा सहित की गई पूजा से सारे विघ्न शीघ्र दूर होने वाले होते हैं।

हिंदू धर्म में चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा-उपासना करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी की उपासना करने से व्यक्ति के जीवन से सभी दुखों का नाश होता है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश पूजा से की जाती है।

पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 5 जनवरी दोपहर 2 बजाकर 34 मिनट पर शुरू होगी और 6 जनवरी दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर तिथि का समापन होगा। 6 जनवरी दिन में 11 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट तक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करना श्रेयष्कर रहेगा। इसके अलावा, चौघडिय़ा मुहूर्त में भी साधक बप्पा की पूजा कर सकते हैंौ

वरद चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिला लें और स्नान करें। भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पंचोपचार कर भगवान गणेश की पूजा फल, फूल और मोदक से करें। भगवान गणेश के निम्न मंत्रों का जाप करें।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

इस दिन दिनभर उपवास रखें। व्रती चाहे तो दिन में एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकता है। शाम के समय भगवान की आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा पाठ संपन्न कर व्रत का पारणा करें। इस दिन पूजा-उपासना के पश्चात श्री गणेश जी की चतुर्थी की कथा का वाचन-श्रवण करना विशेष फलदायी होता है।

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