हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय होती है। इसी वजह से इस दिन किए गए व्रत, पूजा-उपासना से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं जिसस शुभ फलों में वृद्धि होती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। अंग्रेजी महीने दिसंबर माह में 2 एकादशी पड़ेंगी। एक मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की और एक पौष माह के कृष्ण पक्ष की। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है और पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष मिलता है।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के पश्चात घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। इस दिन व्रत भी रखकर शाकाहारी खाना और संयमित व्यवहार करना चाहिए।
भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। इस दिन भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें, जिससे सुख-समृद्धि और धन-वैभव की प्रचुरता रहने वाली रहती है। पूरे दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
किसी भी कार्य या पूजा-उपासना में शुभ मुर्हूर्त का विशेष महत्व होता है। ऐसे ही एकादशी के दिन पूजा-उपासना शुभ मुर्हूर्त में करने से विशेष फलदायी होती है। इस बार मार्गशीर्ष, शुक्ल एकादशी प्रारम्भ का समय 9.32 संध्या से लेकर 14 दिसम्बर 11.35 बजे तक रहने वाली रहेगी, जिससे इस समय के दौरान ही पूजा-उपासना करना विशेष श्रेयष्कर रहता है। एकादशी व्रत में व्रत का पारणा भी महत्वपूर्ण होता है। इसका पारणा समय 15 दिसम्बर को 7.06 बजे से 9.10 बजे तक रहेगा।
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