ऊँ घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जाप फलदायी || Vaibhav Vyas


 ऊँ घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जाप फलदायी

पौष मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है और इसी कारण इस महीने को पौष का महीना कहा जाता है। इस महीने में भगवान सूर्यनारायण की विशेष पूजा अर्चना से उत्तम स्वास्थ्य और मान- सम्मान की प्राप्ति हो सकती है। इस महीने में भगवान सूर्य को अघ्र्य देने और उपवास रखने का विशेष महत्व होता है। पौष मास में सूर्य उपासना से रुका हुआ धन भी मिलने के योग बनने लगते हैं। इसके लिए सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठे और स्नान करके हल्के लाल रंग के कपड़े पहने। एक लाल आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से 108 बार सूर्य के मन्त्र ऊँ घृणि सूर्याय नम: का पाठ करें। वहीं तांबे के लोटे में जल भरकर भी रखे और ऊँ मन्त्र 27 बार उच्च स्वर में जपें, फिर इस जल को सारे घर मे छिड़क दें। ऐसा लगातार 27 दिन तक करें आपके कार्यों में तेजी आएगी और रुका हुआ धन भी जरूर मिलेगा।

अथर्ववेद और सूर्योपनिषद के मुताबिक पौष महीने में सूर्य की पूजा करने से पाप और शारीरिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आदित्य पुराण के मुताबिक पौष महीने में स्नान करने के बाद तांबे के पात्र में शुद्ध जल लेकर उसमें लाल चन्दन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देवता को अध्र्य देना चाहिए। ऐसा करने से सूर्य देवता प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धन्य और सौभाग्य आदि का वरदान देते हैं।

सूर्य देवता का मंत्र 'ऊँ श्री सूर्य देवाय नम:Ó का जाप भी करना करना चाहिए। शास्त्रों में सूर्य देवता के मंत्र का जाप करना बहुत ही लाभकारी माना गया है।

पौष के महीने में अगर संभव हो तो प्रत्येक रविवार को फलाहार करके उपवास रखना चाहिए। उपवास में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। रविवार को उपवास के दिन सूर्य देवता को तिल और चावल की खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए। रविवार को उपवास और भोग लगाने वाला व्यक्ति तेजस्वी बनता है।

पुराणों के मुताबिक पौष महीने में तीर्थ स्नान और दान करने से भी व्यक्ति की उम्र लंबी होती है।

पौराणिक ग्रंथों में भी इस मास के महत्व के बारे में बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन केवल नए मास की शुरुआत की तिथि नहीं बदलती बल्कि, जीवन में भी बहुत से परिर्वतन होते हैं। इस मास का आधिपत्य भगवान सूर्य के पास होता है। इसलिए इस मास में सूर्य उपासना का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। माना जाता है कि मनुष्य को इस मास में अपने जीवन शैली में परिर्वतन लाना चाहिए तभी उसे सूर्य को अघ्र्य देने और उनकी नियमित उपासना करने का पूरा लाभ मिलता है।

इस मास में आधी रात में की गई पूजा-अर्चना को तप समान माना गया है और यही कारण है कि इस पूजा का त्वरित लाभ मिलता है। साथ ही इस मास में मनुष्य को जरूरतमंदों को गर्म वस्त्र और नवान्न का दान जरूर करना चाहिए। यदि आप अपने भाग्य को चमकाना चाहते हैं तो इस मास में लाल और पीले रंग के वस्त्र धारण करें। घर में कपूर का धूप शाम के समय जरूर करें।

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