सूर्य देव शक्ति और आरोग्यदाता || Vaibhav Vyas


 सूर्य देव शक्ति और आरोग्यदाता

वैदिक काल से भगवान सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता है। सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा और ईश्वर का नेत्र बताया गया है। सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य एवं शक्ति के देवता के रूप में मान्यता हैं। सूर्यदेव की कृपा से ही पृथ्वी पर जीवन बरकरार है। ऋषि-मुनियों ने उदय होते हुए सूर्य को ज्ञान रूपी ईश्वर बताते हुए सूर्य की साधना-आराधना को अत्यंत कल्याणकारी बताया है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य की उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है। जिनकी साधना स्वयं प्रभु श्री राम ने भी की थी। 

भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव की साधना-आराधना का अक्षय फल मिलता है। सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य को नवग्रहों में प्रथम ग्रह और पिता के भाव कर्म का स्वामी माना गया है। जीवन से जुड़े तमाम दुखों और रोग आदि को दूर करने के साथ-साथ जिन्हें संतान नहीं होती उन्हें सूर्य साधना से लाभ होता हैं। पिता-पुत्र के संबंधों में विशेष लाभ के लिए सूर्य साधना पुत्र को करनी चाहिए। 

सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं, जिन्हे शक्ति एवं स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है। भगवान सूर्य का रथ यह प्रेरणा देता है कि हमें अच्छे कार्य करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी जीवन में सफलता मिलती है। 

वैदिक काल से ही भारत में सूर्य की पूजा का प्रचलन रहा है। पहले यह साधना मंत्रों के माध्यम से हुआ करती थी लेकिन बाद में उनकी मूर्ति पूजा भी प्रारंभ हो गई। जिसके बाद तमाम जगह पर उनके भव्य मंदिर बनवाए गए। प्राचीन काल में बने भगवान सूर्य के अनेक मन्दिर आज भी भारत में हैं। सूर्य की साधना-अराधना से जुड़े प्रमुख प्राचीन मंदिरों में कोणार्क, मार्तंड और मोढ़ेरा आदि हैं। 

रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। इस दिन भगवान सूर्य की साधना-आराधना करने पर शीघ्र ही उनकी कृपा प्राप्त होती है। रविवार के दिन भक्ति भाव से किए गए पूजन से प्रसन्न होकर प्रत्यक्ष देवता सूर्यदेव अपने भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। 

सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें ऊँ घृणि सूर्याय नम: कहते हुए जल अर्पित करें। सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें। सूर्य को अघ्र्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें। 

सूर्य की दिन के तीन प्रहर की साधना विशेष रूप से फलदायी होती है। 

1. प्रात:काल के समय सूर्य की साधना से आरोग्य की प्राप्ति होती है। 

2. दोपहर के समय की साधना साधक को मान-सम्मान में वृद्धि कराती है। 

3. संध्या के समय की विशेष रूप से की जाने वाली सूर्य की साधना सौभाग्य को जगाती है और संपन्नता लाती है। 

सूर्य की साधना में मंत्रों का जप करने पर मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है। सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तमाम तरह की बीमारी और जीवन से जुड़े अपयश दूर हो जाते हैं। सूर्य के आशीर्वाद से आपके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

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