मल मास में श्री कृष्ण का सुमिरन देता बाधाओं से मुक्ति || Vaibhav Vyas


 मल मास में श्री कृष्ण का सुमिरन देता बाधाओं से मुक्ति

हिन्दू धर्मशास्त्रों में मल मास की विशेष महिमा बताई गई है। मल मास को सभी मासों में उत्तम और पवित्र तथा विशेष पुण्यदायी माना गया है। इस मास में भगवान कृष्ण की उपासना करने का विशेष महत्व माना गया है। श्रीमद भागवत पुराण और स्कंद पुराण में भी मल मास के महत्व को बताया गया है। मल मास में श्री विष्णु हरि की पूजा-उपासना सभी तरह के कष्टों का निवारण करने वाली मानी गई है।

पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने मल मास के अधिपति देवता के रूप में स्वीकारोक्ति दी, जिससे इस माह को श्रीकृष्ण का ही स्वरूप माना गया है। इस मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मल मास में पवित्र नदियों में स्नान, भजन-कीर्तिन, दान-पुण्य और मंत्र जाप पूरे मास कर ले तो उसके सारे सांसारिक कष्टों का निवारण होकर मनोवांछित फलों की प्राप्ति होने वाली मानी गई है। मल मास में यदि कोई श्रद्धालु कम से कम तीन दिन तक ही ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें तो भी उसे सभी सुख प्राप्त होते हैं। मल मास में साधारण शंख को श्रीकृष्ण के पाञ्चजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं। जो भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति से इस माह श्री विष्णु का नाम जपते हैं उसके सभी मनोरथ सफल होते हैं।

मल मास में रोजाना ऊँ दामोदराय नम: मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों और समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। मल मास की हर रात को एकांत में दीया आदि जलाकर पूजा स्थान में श्री विष्णु का हरि ध्यान करना भी विशेष फलदायी माना गया है। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का 108 बार जाप करें। भगवान विष्णु के मंत्र जापों में वैसे तो बहुत सारे मंत्रों का उल्लेख है, फिर भी यदि इन मंत्रों का नित्य नियमित जाप किया जाए तो सब विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलने वाली होती है।

मंत्र-

मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुड़ ध्वज। मंगलम पुण्डरीकाक्ष, मंगलाय तनो हरि।।

ऊँ वैश्वानराय नम:

ऊँ अग्नये नम:

ऊँ हविर्भुजै नम:

ऊँ द्रविणोदाय नम:

ऊँ संवर्ताय नम:

ऊँ ज्वलनाय नम:

मान्यता है कि मल मास में भगवान विष्णु का ध्यान और उनके मंत्रों का जाप अश्वमेध यज्ञ का फल प्रदान करने के समान माना गया है। इसीलिए इस माह में थोड़े समय के लिए की गई पूजा-आराधना कई गुना पुण्य फलों में वृद्धि करने वाली मानी गई है।

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