मल मास में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व || Vaibhav Vyas


 मल मास में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व

धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रतिदिन भगवान सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए। मल मास में सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है इसी वजह से सूर्य देव से जुड़े उपाय इस माह करने से शीघ्र फलदायी माने गए हैं। सूर्यदेव को करवीर (कनेर) के फूल सबसे अधिक प्रिय है। इस फूल से पूजा करने वाला सूर्यदेव को बहुत प्रिय होता है। वह अपने जीवन में सभी सुखों को भोगकर अंत में स्वर्ग में निवास करता है। सूर्यदेव को सफेद कमल चढ़ाने से सौभाग्य, कुटज के फूल चढ़ाने से ऐश्वर्य मिलता है। मंदार के फूल चढ़ाने से कुष्ठ रोगों का नाश होता है। बिल्व वृक्ष के पत्ते अर्पित करने से धन-संपत्ति मिलती है। सूर्यदेव को मौलसिरी के फूलों की माला चढ़ाने से गुणवती कन्या से विवाह होता है। पलाश के फूल चढ़ाने से संकटों का नाश होता है। बेला के फूलों से पूजा करने से सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। सूर्यदेव को 1 हजार कमल के फूल चढ़ाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। मल्लिका के फूल (बेला फूल की एक प्रजाति) अर्पित करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

सूर्यदेव के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक लगाने से आंखों से संबंधी रोग नहीं होते। महुए के तेल का दीपक लगाने से सौभाग्य मिलता है। तिल के तेल का दीपक लगाने से सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। सूर्यदेव की पूजा लाल चंदन से करने पर हर कामना पूरी होती है। चमेली के फूल अर्पित करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। कुंकुम से पूजा करने पर भी सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं। रविवार का दिन सूर्य ग्रह के लिए समर्पित है। सूर्य का रंग केसरिया व रत्न माणिक्य माना जाता है।

सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य एवं शक्ति के देवता के रूप में मान्यता हैं। सूर्यदेव की कृपा से ही पृथ्वी पर जीवन बरकरार है। ऋषि-मुनियों ने उदय होते हुए सूर्य को ज्ञान रूपी ईश्वर बताते हुए सूर्य की साधना-आराधना को अत्यंत कल्याणकारी बताया है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य की उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है।  प्रत्यक्ष देव सूर्यदेव की साधना-आराधना का अक्षय फल मिलता है। सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। सुबह-सुबह सूर्योदय के समय सूर्य को प्रतिदिन अघ्र्य देने से आरोग्यता के साथ-साथ मन की संतुष्टि रहने वाली रहती है।

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