भाई-बहन के स्नेह का पर्व भैयादूज || Vaibhav Vyas


 भाई-बहन के स्नेह का पर्व भैयादूज

पांच दिन का दीवाली उत्सव कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया भैयादूज के रूप में मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इसीलिए इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है। इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं। ब्रजमंडल में इस दिन बहनें भाई के साथ यमुना स्नान करती हैं, जिसका विशेष महत्व बताया गया है।

भाई दूज पर तिलक की परम्परा का निर्वहन शुभ मुहूर्त में किया जाता है। इस बार 6 नवम्बर को भाई दूज पर द्वितीया तिथि को भाई दूज तिलक मुहूर्त का समय दोपहर एक बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 19 मिनट तक शुभ माना गया है। पंचांग के अनुसार द्वितीय तिथि प्रारंभ 5 नवम्बर, 21 को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से प्रारम्भ हो जाने के कारण द्वितीय तिथि समाप्ति का समय सायं 7 बजकर 43 मिनट तक रहने वाला रहेगा।

पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं। उन्हीं का अनुकरण करते हुए भारतीय भ्रातृ परम्परा अपनी बहनों से मिलती है और उनका यथेष्ट सम्मान पूजनादि कर उनसे आशीर्वाद रूप तिलक प्राप्त कर कृतकृत्य होती हैं। बहनों को इस दिन नित्य कृत्य से निवृत्त हो अपने भाई के दीर्घ जीवन, कल्याण एवं उत्कर्ष हेतु तथा स्वयं के सौभाग्य के लिए अक्षत कुंकुमादि से अष्टदल कमल बनाकर इस व्रत का संकल्प कर मृत्यु के देवता यमराज की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। इसके पश्चात यमभगिनी यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों की पूजा करनी चाहिए। तदंतर भाई के तिलक लगाकर भोजन कराना चाहिए।

इस पर्व को भाऊ बीज, टिक्का, यम द्वितीय आदि नामों से भी जाना जाता है। भाई दूज के दिन भाई और बहन को एक साथ यमुना में स्नान करना काफी शुभ माना गया है। इस दिन बहनें भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए यम के नाम का दीपक घर के बाहर जलाती हैं। इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। इस दिन यम की पूजा करते हुए बहन प्रार्थना करें कि हे यमराज, श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें।

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