अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक विजया दशमी || Vaibhav Vyas


 अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक विजया दशमी

अधर्म पर धर्म की विजय अथवा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक स्वरूप दशहरा या विजया दशमी त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि दशमी तिथि के दिन ही मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था और राम ने रावण पर विजय पाई थी। विजया दशमी तिथि को शास्त्रों में सबसे श्रेष्ठ बताया गया है। कहते हैं कि इस दिन विजय मुहूर्त में शुरू किया गया कोई भी कार्य लाभकारी होता है। दशहरा के दिन कुछ विशेष उपायों का भी महत्व है जिनसे घर में सुख-समृद्धि आने की लगती है।

विजया दशमी के दिन घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में रोली, कुमकुम या लाल रंग के फूलों से रंगोली या अष्टकमल की आकृति बनानी चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

दशहरा के दिन शस्त्र पूजन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से शत्रु पर विजय सुनिश्चित होती है।

दशहरा के दिन शमी के पेड़ के पूजन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन पूजन में शमी के पत्ते अर्पित करने से आर्थिक लाभ होता है। 


मान्यता है कि दशहरा के दिन पूजा घर में शमी के पेड़ की मिट्टी रखने से बुरी शक्तियों का प्रभाव समाप्त होता है।

दशहरा के दिन नीलकंठ का दर्शन करना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से भाग्य का साथ मिलता है।

दशहरा के दिन शमी के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से कार्यों में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से सफलता के मार्ग खुल जाते हैं।

मान्यता है कि दशहरा के दिन घर की नेगेटिविटी को दूर करने के लिए रावण दहन की राख को सरसों के तेल में मिलाकर घर की हर दिशा में छिड़कना चाहिए।

दशहरा के दिन पान खाना बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखद होता है।

दशहरे के दिन से शुरू करके 51  दिन तक रोजाना कुत्तों और गायों को मीठा लड्डू या बेसन की मिठाई खिलाने से शुभ फल प्राप्ति होती है।

मान्यता है कि दशहरे के दिन शाम के समय में माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए किसी भी मंदिर में झाड़ु का दान करने से धन संबंधी दिक्कतें दूर हो जाती है।

दशहरे पर सुंदरकांड का श्रवण-वाचन करने से सभी रोग और मानसिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।

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