सर्व पितृ अमावस्या || Vaibhav Vyas


 सर्व पितृ अमावस्या

जिन्होंने हमें पाला-पोसा, बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया, हममें भक्ति, ज्ञान एवं धर्म के संस्कारों का सिंचन किया उनका श्रद्धापूर्वक स्मरण करके उन्हें तर्पण-श्राद्ध से प्रसन्न करने के दिन ही हैं श्राद्धपक्ष। श्राद्ध पक्ष में किन्हीं कारणवश श्राद्ध-कर्म नहीं भी कर पाए हों तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन इस कर्म को किया जा सकता है।

जिस प्रकार चारागाह में सैंकड़ों गौओं में छिपी हुई अपनी माँ को बछड़ा ढूँढ लेता है उसी प्रकार श्राद्धकर्म में दिए गये पदार्थ को मंत्र वहाँ पर पहुँचा देता है जहाँ लक्षित जीव अवस्थित रहता है। पितरों के नाम, गोत्र और मंत्र श्राद्ध में दिये गये अन्न को उसके पास ले जाते हैं, चाहे वे सैंकड़ों योनियों में क्यों न गये हों। श्राद्ध के अन्नादि से उनकी तृप्ति होती है। परमेष्ठी ब्रह्मा ने इसी प्रकार के श्राद्ध की मर्यादा स्थिर की है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या को पितर भूमि पर आते हैं। उस दिन अवश्य श्राद्ध करना चाहिये। यदि उस दिन तिथि अनुसार किसी का श्राद्ध का है तो उत्तम अन्यथा वैसे भी पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म की पूरी प्रक्रिया के साथ श्राद्ध-कर्म-क्रिया करनी चाहिए, जिससे जाने-अनजाने रहे पितरों को तृप्त किया जा सके। उस दिन श्राद्ध नही करते हैं तो पितर नाराज होकर चले जाते हैं। आप यदि उस दिन श्राद्ध करने में सक्षम् नही हैं  तो उस दिन तांबे के लोटे में जल भरकर के भगवद्गीता के सातवें अध्याय का पाठ करें और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय एवं ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधा देव्यै स्वाहा मंत्र की 1-1 माला का जाप करके सूर्यनारायण भगवान को जल का अघ्र्य दें। और सूर्य भगवान को बगल ऊँची करके बोले की मैं अपने पितरों को प्रणाम करता हूँ। वे मेरी भक्ति से ही तृप्ति लाभ करें। मैंने अपनी दोनों बाहें आकाश में उठा रखी हैं। और जिनका श्राद्ध किया जाये उन माता, पिता, पति, पत्नी, संबंधी आदि का स्मरण करके उन्हें याद दिलायें कि: आप देह नहीं हो। आपकी देह तो समाप्त हो चुकी है, किंतु आप विद्यमान हो। आप अगर आत्मा हो.. शाश्वत हो... चैतन्य हो। अपने शाश्वत स्वरूप को निहार कर हे पितृ आत्माओं! आप भी परमात्ममय हो जाओ। हे पितरात्माओं! हे पुण्यात्माओं! अपने परमात्म-स्वभाव का स्मरण करके जन्म मृत्यु के चक्र से सदा-सदा के लिए मुक्त हो जाओ। हे पितृ आत्माओ! आपको हमारा प्रणाम है। हम भी नश्वर देह के मोह से सावधान होकर अपने शाश्वत् परमात्म-स्वभाव में जल्दी जागें.... परमात्मा एवं परमात्म-प्राप्त महापुरुषों के आशीर्वाद आप पर हम पर बरसते रहें। 

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जिनके पितर नाराज हो जाते हैं उनकी ग्रह दशा अच्छी भी हो तब भी उनके जीवन में हर पल परेशानी बनी रहती है। श्राद्ध पक्ष में सयंम-नियम पालन करते हुए पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण-दान और ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिए। जिससे पितर भी तृप्त होंगे और आशीर्वाद मिलेगा जिससे जीवन में आने वाली समस्याओं से पार पा सकेंगे।

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