मां की कृपा पाने के लिए स्रोत या मंत्र जाप करें || Vaibhav Vyas


 मां की कृपा पाने के लिए स्रोत या मंत्र जाप करें

नवरात्रि में माता की पूजा-आराधना का फल शीघ्र मिलने वाला रहता है। इसके लिए पूरे नवरात्रि यथासंभव पूजा-पाठ, ध्यान, साधना और मंत्रोच्चार के साथ आराधना-उपासना करनी चाहिए, जिससे मां की कृपा बनी रहे और जीवन में सहजता और सरलता बनी रहे। सुबह नित्यकर्म से निवृत होने के पश्चात एक पवित्र स्थान पर माता की फोटो या मूर्ति को एक लाल कपड़े के आसन पर गंगा जल छिड़क कर स्थापित करें। माला-पुष्प आदि से उनका श्रृंगार करें। पूजा करते समय स्वयं के लिए लाल रंग के आसन का प्रयोग करें। यह आसन ऊनी होना चाहिए. यदि ऊनी आसन न उपलब्ध हो तो लाल रंग का कंबल इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि लाल रंग का कंबल भी उपलब्ध न हो तो कोई कंबल लेकर उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता की साधना करें। यदि संभव हो तो मां जगदंबे की साधना लाल रंग के कपड़े पहनकर ही करें और मस्तक पर रोली से लाल रंग का तिलक लगाएं. माता को शीघ्र ही प्रसन्न करने के लिए ऊँ ऐं हृीं क्लीं चामुण्डार्य विच्चै मंत्र का जाप भी विशेष रूप किया जा सकता है। इसके अलावा दुर्गा सप्तशती, सिद्धकुंजिका या अन्य कोई स्रोत किया जा सकता है। ऐसा ही एक स्रोत महर्षि व्यास द्वारा मां दुर्गा का स्रोत लिखा गया है। स्त्रोत-

जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।

जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।

जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।

जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥

जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।

जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥

जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे।

जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:।

गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥

महर्षि व्यास द्वारा लिखा गया मां दुर्गा का यह स्त्रोत कल्याणकारी है। इसका पाठ करने से मनुष्य हर संकट से दूर रहता है और मां भगवती की कृपा हमेशा बनी रहती है।

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