पति की दीर्घायु की कामना का व्रत करवा चौथ || Vaibhav Vyas


 पति की दीर्घायु की कामना का व्रत करवा चौथ

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार करवाचौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। उसके अनुसार एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। ऐसे में देवता ब्रह्मदेव के पास गए और रक्षा की प्रार्थना की। ब्रह्मदेव ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। ब्रह्मदेव ने यह वचन दिया कि ऐसा करने पर निश्चित ही इस युद्ध में देवताओं की जीत होगी। ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सभी देवताओं और उनकी पत्नियों ने खुशी-खुशी स्वीकार किया। ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों यानी देवताओं की विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई। उस समय आकाश में चांद भी निकल आया था। माना जाता है कि इसी दिन से करवाचौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई और चन्द्र देव के दर्शन और अघ्र्य के पश्चात इसका पारणा किया गया।

इस दिन सुहागन महिलाएं मेंहदी लगवाती है, क्योंकि मेहंदी सौभाग्य की निशानी मानी जाती है। भारत में ऐसी मान्यता है कि जिस लड़की के हाथों की मेहंदी ज्यादा गहरी रचती है, उसे अपने पति तथा ससुराल से अधिक प्रेम मिलता है। इसलिए इस दिन सभी सुहागन महिलाएं मेंहदी अवश्य लगवाती हैं।

करवा चौक के व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शान्ति, समृद्धि और सन्तान सुख मिलता है।

करवा चौथ के दिन सुहागन स्त्रियां पति की लंबी आयु की कामना के लिए पूरा दिन निर्जला व्रत करने के बाद शाम को कथा पढ़कर या सुनकर चंद्रमा को अघ्र्य देती हैं और व्रत खोलती हैं। मान्यतानुसार इस दिन व्रती महिला को करवा चौथ की व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए। कहा जाता है कि पूर्ण कथा सुनने के बाद ही पूजा का फल मिलता है।

करवा चौथ व्रत सुहागन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु की कामना में रखती हैं। इस दिन व्रत रखकर करवा चौथ की कथा का पाठ करना बहुत जरूरी है क्योंकि कथा के बिना पूजा और व्रत का सम्पूर्ण फल नहीं मिलता है। कथा के अनुसार हर एक सुहागन को पति की लम्बी उम्र की इच्छा रखते हुए पूरे श्रद्धा भाव से व्रत करना चाहिए और चन्द्रमा निकलने पर अध्र्य देकर ही अन्न-जल ग्रहण करना चाहिए। व्रत की पूर्ति के लिए कथा सुनना या पढऩा अनिवार्य माना गया है।

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