कार्तिक मास में भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना शीघ्र फलदायी || Vaibhav Vyas


 कार्तिक मास में भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना शीघ्र फलदायी

पुराणों में कार्तिक मास की विशेष महत्ता वर्णित है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक के समान कोई मास नहीं है, न सतयुग के समान कोई युग और वेद के समान कोई शास्त्र और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है। कार्तिक मास को मंगलकारी और श्रेष्ठकारी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में कुछ नियमों का पालन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाए तो श्री हरि की कृपा प्राप्त शीघ्र प्राप्त होती है।

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना अति उत्तम माना जाता है। इस महीने किसी पवित्र नदी-सरोवर में स्नान करना अति उत्तम माना गया है, संभव नहीं होने पर घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

तुलसी पूजन- हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जिन घरों में प्रतिदिन माता तुलसी की पूजा की जाती है, वहां मां लक्ष्मी का वास हमेशा रहता है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और सर्वप्रथम तुलसी की पुकार सुनते हैं। शास्त्रों में कार्तिक मास में तुलसी पूजन शुभ बताया गया है।

दीपदान- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दीपदान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शरद पूर्णिमा से लेकर कार्तिक मास तक दीपदान का विधान बताया गया है। मान्यता है कि इस माह में हर दिन किसी पवित्र नदी या घर पर तुलसी में ही दीपदान करना चाहिए। ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

दान-पुण्य- कार्तिक मास में कुछ चीजों के दान को महादान माना जाता है। इस मास में अन्न दान और गौदान का विशेष महत्व होता है। इस महीने गरीब या जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए।

पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक मास के दौरान अगर आप जमीन में सोते हैं तो मन में पवित्र विचार आते हैं। भूमि में सोना कार्तिक मास का तीसरा प्रमुख काम माना गया है। कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

भजन-सत्संग- कार्तिक मास में जितना अधिक भजन-सत्संग किया जाता है उसका फल शीघ्र फलदायी माना गया है। भजन-सत्संग किसी मंदिर में किया जाए तो अति उत्तम अथवा घर में भी पूजा-अर्चना के पश्चात् भजन-सत्संग करना चाहिए।

Comments