ब्रह्म मुहूर्त का महत्व || Vaibhav Vyas


 ब्रह्म मुहूर्त का महत्व

ब्रह्म यानि सत्य। ब्रह्म मुहूर्त को धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह से बहुत महत्व दिया जाता है। धार्मिक रूप से जहां वेद शास्त्रों तक में ब्रह्म मुहूर्त में उठने के फायदे बताये गये हैं वहीं विज्ञान भी इस समय को शारीरिक और बौद्धिक विकास के लिये बहुत अच्छा बताता है। ऋग्वेद में कहा गया है कि-

प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।

तेन प्रजां वर्धयुमान आय रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥

अर्थात् सूर्योदय से पहले उठने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है, इस कारण समझदार लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। जो सुबह जल्दी उठते हैं वे स्वस्थ, सुखी, ताकतवार और दीर्घायु होते हैं। इसी तरह सामवेद में भी लिखा है कि-

यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा। सुवाति सविता भग:॥

अर्थात् सूर्योदय से पहले उठकर शौच व स्नानादि से निवृत हो कर भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिये। इस समय की शुद्ध और स्वच्छ हवा स्वास्थ्य, संपत्ति में वृद्धि करने वाली होती है। इसी प्रकार अथर्ववेद में भी कहा गया है कि सूर्योदय के बाद भी जो नहीं उठते उनका तेज खत्म हो जाता है।

वैज्ञानिक महत्व- वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त के समय वायुमंडल प्रदूषण रहित होता है। इस समय वायुमंडल में प्राणवायु यानि ऑक्सीजन की मात्रा सबसे अधिक होती है जो फेफड़ों की शुद्धि और मस्तिष्क को ऊर्जा देने के लिये बहुत जरूरी होती है। वहीं जब हम इस समय नींद से जागते हैं तो मस्तिष्क में एक स्फूर्ति व ताजगी होती है।

संध्या वंदन, ध्यान, प्रार्थना और अध्ययन इनके लिये ब्रह्म मुहूर्त का समय बहुत ही हितकारी होता है संध्या वंदन वैदिक रीति से करनी उचित होती है। संध्या वदंन के बाद ध्यान और ध्यान के पश्चात अध्ययन से संबंधित कार्य कर सकते हैं। विशेषकर अध्ययन के लिये यह समय बहुत ही लाभदायक माना गया है। इसलिये अभिभावक प्रात:काल विद्यार्थियों को उठाकर उन्हें पढऩे की सलाह देते हैं।

वहीं कुछ ऐसी चीजें भी हैं जिन्हें ब्रह्म मुहूर्त के समय बिल्कुल नहीं करना चाहिये जैसे कि कभी भी ब्रह्म मुहूर्त के समय अपने मस्तिष्क में नकारात्मक विचारों को न लायें, किसी से बहस, वार्तालाप भी इस समय नहीं करना चाहिये। संभोग, नींद, यात्रा और भोजन के लिये भी यह समय उचित नहीं माना जाता। आरती, पूजा-पाठ जोर-जोर से नहीं करना चाहिये हवन तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिये। वातावरण की शांति को अपने भीतर भर लेना चाहिये।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में ग्रहों से संबंधित कोई दोष होता है, वे लोग देवी-देवताओं की कृपा के पात्र नहीं बन पाते। इसकी वजह और कुछ नहीं बल्कि  उनके द्वारा किए गए कार्यों में मिल रही असफलता ही होती है। जब उनका भाग्य साथ नहीं देता, घर-परिवार में अशांति का माहौल पैदा हो जाता है। लेकिन यदि व्यक्ति ज्योतिष शास्त्र में बताए गए कुछ साधारण उपायों को अपनाए तो उसके जीवन की अनेक प्रकार की बाधाएं दूर हो सकती हैं।

आमतौर पर ज्योतिष में बताए गए उपाय या पूजा -पाठ का कोई कार्य नहाने के बाद ही संपन्न किया जाता है। लेकिन ज्योतिष में कुछ बातें ऐसी भी बताई गई है, जिन्हें बिना नहाए करना भी शुभ माना जाता है। स्त्री हो या पुरुष रोज सुबह जागते ही इस मंत्र का जाप अवश्य करें।

मंत्र-

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।

गुरुश्च शुक्र: शनि राहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे ममसुप्रभातम्॥

अथार्त- हे ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु देवता, मुझ पर कृपा करें व मेरी प्रात:काल को मंगलमय बनाएं।

इस मंत्र के उच्चारण से व्यक्ति पर सभी देवी-देवता और नौ ग्रहों की कृपा होती है और सब प्रकार के दोषों का नाश होता है। ये शुभ काम सुबह जागते ही करने से दुर्भाग्य से भी मुक्ति मिलती है।

हमारे हाथों के अग्रभाग में देवी लक्ष्मी, मध्य में सरस्वती और हाथ के मूलभाग में भगवान विष्णु का वास है। इसलिए सुबह जागते ही अपनी दोनों हथेलियों को देखकर इस मंत्र का पाठ करना चाहिए-

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।

करमूले तू गोविंद: प्रभाते करदर्शनम्॥

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