ऋषी पंचमी पर करें दान-पुण्य और तर्पण || Vaibhav Vyas


 ऋषी पंचमी पर करें दान-पुण्य और तर्पण

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी ऋषि पंचमी पर्व के रूप में मनाई जाती है। इस दिन ऋषियों विशेषकर सप्तऋर्षियों का पूजन और तर्पण करने का विधान है। सप्त ऋषियों में ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भारद्वाज, ऋषि विश्वमित्र, ऋषि गौतम, ऋषि जमदग्नि और ऋषि वशिष्ठ शामिल हैं। इस दिन किसी नदी-सरोवर में ऋषियों के निमित तर्पण करने के पश्चात विधि-विधान से पूजा करने से पापों का नाश होने वाला माना गया है। इस दिन का व्रत भी कष्टों-बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। जाने-अनजाने हुई भूलों-गलतियों के प्रायश्चित स्वरूप इस दिन का विशेष महत्व है। इसीलिए इस दिन ऋषियों के तर्पण, पूजन और व्रत करने से जाने-अनजाने हुई गलतियों की क्षमा मांगकर ऋषियों से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

ऋषि पंचमी पर सभी स्त्री-पुरुष जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए सप्त ऋषियों के लिए व्रत करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते है. वहीं ऋषि पंचमी पर ही अपने पितरों के नाम से दान-पुण्य, तर्पण करके उनका भी आशीर्वाद सभी बाधाओं को दूर करने वाला माना गया है।

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें और साफ हल्के पीले वस्त्र धारण करें। अपने घर के मंदिर वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और वहां सुगंधित धूप करना चाहिए। किसी नदी-सरोवर में तर्पण संभव नहीं हो तो घर पर ही एक लकड़ी के पटरे पर सप्त ऋषियों की फोटो या विग्रह लगाए और उनके सामने जल भरकर कलश रखें।  सप्त ऋषि को धूप-दीपक दिखाकर पीले फल-फूल और मिठाई अर्पित करें फिर सप्त ऋषियों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे और दूसरों की मदद करने का संकल्प लें। सभी लोगों को इस दिन का व्रत करने के साथ इस दिन की कथा का वाचन या श्रवण करना चाहिए। फिर प्रसाद का यथासंभव वितरण करना चाहिए।

ऋषि पंचमी के दिन ही ऋषियों की पूजा-अर्चना के पश्चात पितरों के निमित भी पूजा-अर्चना और तर्पण करना चाहिए। इसके लिए सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के रसोईघर को साफ करके हो सके तो गाय के दूध की खीर बनाएं। अपने घर के दक्षिण दिशा में पितरों की फोटो या तस्वीर रखें उनके सामने घी का दीपक जलाएं। अलग अलग पान के पांच पत्तों पर थोड़ी खीर रखकर उस पर एक एक इलायची रखें फिर ऊँ श्री पितृ देवाय नम: मन्त्र का 27 बार जपें। जाप के बाद यह पांचों पान के पत्ते पीपल के वृक्ष की जड़ में अर्पण करें। पितरों के नाम से जरूरतमंद लोगों को भोजन अवश्य कराएं। इस दिन यथासंभव दान-पुण्य भी योग्य और जरूरतमंदों को करने से जहां दान-पुण्य की महिमा के भागी बनते हैं वहीं मन की संतुष्टि भी प्राप्त होने वाली रहती है।

ऋषी पंचमी के दिन सप्तर्षियों की पूजा-अर्चना के साथ ही भगवान गणपति की भी पूजा-अर्चना सर्वप्रथम करनी चाहिए और सप्तर्षियों के साथ-साथ गणपति से भीे अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांग कर विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद मांगना चाहिए। ऐसा करने से विद्या में आ रही रुकावट शीघ्र ही दूर होगी और सुख-समृद्धि की प्राप्त होने वाली रहती है।

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