अमावस्या पर करें पितर तर्पण || Vaibhav Vyas


 अमावस्या पर करें पितर तर्पण

भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को बहुत ही शुभ एवं पुण्य फलदायी माना जाता है। इस दिन को कुशग्रहणी अमावस्या के तौर पर भी जाना जाता है। 7 सितंबर, 2021 को पडऩे वाली इस अमावस्या के दिन यथासंभव पवित्र तीर्थस्थलों के दर्शन करने एवं नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि यह संभव नहीं हो पाए तो स्नान करते समय जल में गंगाजल का मिश्रण करना चाहिए। यह दिन पितरों की शांति के लिए उत्तम होता है, इसलिए इस दिन पितरों के निमित तर्पण किया जाता है। इस दिन किए गए तर्पण के कारण मनुष्य के जीवन में ग्रह बाधा या दैनिन्दिन की परेशानियां हो तो उनका भी निवारण इस अमावस्या के दिन किया जा सकता है।

भाद्रपद माह की अमावस्या के दिन धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में प्रयोग की जाने वाली कुशा घास को एकत्रित किए जाने से सालभर तक पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन अपने दिवंगत पितरों की आत्मा को तृप्त करने के लिए पवित्र नदियों में कुशा मिले जल से तर्पण करना चाहिए। सरोवर-नदियों में संभव नहीं हो, तो घर में एकत्रित वर्षा जल में भी कुशा मिलाकर करना चाहिए। इससे पितृ प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं और कष्टों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। 

भादो अमावस्या के दिन तर्पण का विशेष महत्व होता है। इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है। ऐसा करने से जीवन में आ रही अदृश्य बाधाएं भी दूर होने लगती हैं। इस दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ चीनी मिश्रित जल अर्पण करने और आटे के दीपक में 5 बत्ती लगाकर जलाने से लाभ होता है। इसके अलावा 7 या 11 बार  परिक्रमा करने से धन प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है।

इस दिन शनिदेव की पूजा का भी खास महत्व है। इसलिए भादो अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा करें। इस दिन शनि ग्रह से संबंधित चीजें जैसे सरसों का तेल, काले तिल, काला कम्बल आदि का दान जरूरतमंदों को करना चाहिए। 

भाद्रपद अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाना और हनुमान चालीसा का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। इससे मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। जीवन में आ रही मुसीबतों से बचने के लिए भादो अमावस्या के दिन किसी गौशाला में धन और हरी घास का दान करना अच्छा माना जाता है।

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