पूर्णिमा पर करें पितृ तर्पण || Vaibhav Vyas


 पूर्णिमा पर करें पितृ तर्पण

पूर्णिमा तिथि किसी त्यौहार से कम नहीं होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन की गई पूजा-उपासना और दान व्यक्ति को नित्य प्रति समस्याओं से तो छुटकारा दिलाता ही है साथ ही यश-मान और श्री की वृद्धि भी करा सकता है। वैसे तो पूर्णिमा के दिन की गई पूजा, पाठ, दान और पितृ तर्पण व्यक्ति की आत्मसंतुष्टि का कारक बनता है। पूर्णिमा की महिमा वेद-पुराणों में भी कही गई है, जिसके चलते लघु पूजा-उपासना से भी व्यक्ति सर्वोच्च फल की कामना कर सकता है। पूर्णिमा के दिन पूजा-उपासना कर मनोवांछित फल की प्राप्ति की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है।

धार्मिक महत्व के साथ-साथ पूर्णिमा को वैज्ञानिक रूप से भी अधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पानी को अपनी ओर खींचता है। मनुष्य के अंदर भी 70 प्रतिशत पानी की ही मात्रा होती है। जिसके कारण पूर्णिमा के दिन मनुष्य के स्वभाव में कुछ हद तक परिवर्तन होता है। धार्मिक रूप से तो पूर्णिमा को विशेष महत्व दिया ही जाता है। क्योंकि कहा भी गया है चन्द्रमा मनसो जात: यानि मन का कारक चन्द्रमा को ही माना गया है। पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं इस दिन कुछ उपाय करने से मनुष्य के जीवन के सभी दुख समाप्त होते हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी यह दिन काफी खास माना गया है। क्योंकि पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा पक्ष बलि भी होता है। इसी के साथ यदि किसी की जन्मकुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो वह इस दिन उपाय करके चंद्रमा को मजबूत कर सकता है। पुराणों के अनुसार पूर्णिमा के दिन देवी-देवताओं ने मानव रूप धारण किया था। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु सहित सभी देवी-देवता धरती पर गंगा स्नान के लिए अलग-अलग रूपों में आते हैं। इस दिन घर में सत्यानारयण जी की कथा करना भी शुभ माना जाता है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण दिखाई देता है। क्योंकि यह शुक्ल पक्ष का चंद्रमा होता है जो पक्ष बलि भी होता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप कट जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी पवित्र नदी के पास नहीं जा सकता तो वह अपने नहाने के पानी में गंगाजल डालकर नहा सकता है। इस प्रकार भी उसे स्नान का पूर्ण फल प्राप्त होगा। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही घर-परिवार में पितर दोष के चलते उत्पन्न समस्याओं का भी समाधान होता है।

पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा न कर पाए तो वह अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकता है। पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन आप चाहें तो सत्यानारयण की कथा के साथ ही व्रत-उपवास भी किया जा सकता है। इस दिन स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण अवश्य करें और पूरे दिन का उपवास रखें। इस दिन सूर्योदय से उपवास रखकर चंद्र दर्शन के बाद समाप्त किया जाता है। पूर्णिमा के दिन दान का भी विशेष महत्व है। इसलिए अपने सामथ्र्य के अनुसार किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को दान अवश्य दें। स्वयं पूजा की विधि नहीं जानने वाले किसी योग्य ब्राह्मण से भी इस कार्य को करवा सकते हैं। ब्राह्मण को खान-पान और दान से तृप्त करना भी आपकी समस्याओं का निदान करने वाला माना गया है।

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