मंत्र जाप से पाएं विघ्न-बाधाओं से मुक्ति || Vaibhav Vyas


 मंत्र जाप से पाएं विघ्न-बाधाओं से मुक्ति

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु जगत का पालन करने वाले देवता हैं। उनका स्वरूप शांत और आनंदमयी है। प्रतिदिन भगवान श्रीहरि विष्णु का स्मरण करने से जीवन के समस्त संकटों का नाश होता है तथा धन-वैभव की प्राप्ति होती है। समयाभाव के कारण यदि विधि-विधान से पूजा-अर्चना नहीं भी हो पाए तब भी यथासंभव मंत्र का स्मरण और उच्चारण करते रहने से भी मन को संतुष्टि मिलने वाली होती है।

श्रीहरि विष्णु के पावन मंत्र जो शीघ्र फलदायी माने गए हैं-

- ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय

- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

- ऊँ नारायणाय विद्महे।  वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

- ऊँ विष्णवे नम:

- ऊँ हूं विष्णवे नम:

- ऊँ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। 

ऊँ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

- दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

- ऊँ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि। 

इन मंत्रों के उच्चारण से सभी तरह की विघ्न-बाधा दूर होकर धन-वैभव की प्राप्ति के साथ ही साथ मन की संतुष्टि और ईश्वर भक्ति प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होने लगता है। इन मंत्रों का उच्चारण स्वेच्छानुसार कभी भी किया जा सकता है।

वैज्ञानिक दृष्टि से भी लगातार मंत्र जप करने से उच्च रक्तचाप और गलत धारणायें आदि समाप्त होने लगते हैं। मंत्र जप का साइड इफेक्ट यही है। मंत्र में विद्यमान हर एक बीजाक्षर शरीर की नसों को उद्दीप्त करता है, इससे शरीर में रक्त संचार सही ढंग से गतिशील रहता है। बीजाक्षरों को एक लयात्मक पद्धति से उच्चारण करने पर हृदय तथा फेफड़ों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है व उनके विकार नष्ट होते हैं। जप के लिए ब्रहा मुहूर्त को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। क्योंकि उस समय परा वातावरण शांन्ति पूर्ण होता रहता है, किसी भी प्रकार का कोलाहल या शोर नहीं होता। कुछ विशिष्ठ साधनाओं के लिए रात्रि का समय अत्यन्त प्रशस्त होता है। सही समय पर सही ढंग से किया हुआ जप अवश्य ही फलप्रद होता है।

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