विघ्नहर्ता गणेशजी की पूजा से पाएं कष्टों-बाधाओं से मुक्ति || Vaibhav Vyas


 विघ्नहर्ता गणेशजी की पूजा से पाएं कष्टों-बाधाओं से मुक्ति

सर्वप्रथम पूज्य भगवान गणेश जी को सभी संकटों को हरने वाला और सभी बाधाओं को दूर करने वाला देवता माना गया है। भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हर साल गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेशजी को समर्पित होता है। इस दिन घर-घर में गणेशजी बैठाए जाते हैं। घरों के अलावा जगह-जगह पर पंडाल सजाए जाते हैं। इसके बाद 11वें दिन गणपति बप्पा को पूरे गाजे-बाजे के साथ विदा कर दिया जाता है। यानी मूर्ति विसर्जन कर दिया जाता है। गणेश भगवान को विदाई देने के साथ ही भक्त अगले साल उनके जल्दी आने की कामना करते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश का जन्म जिस दिन हुआ था, उस दिन भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी नाम दिया गया। उनके पूजन से घर में सुख-समृद्धि और वृद्धि आती है। शिवपुराण में भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश का जन्मदिन बताया गया है। जबकि गणेशपुराण के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।

ऐसी भी मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन निषिद्ध किया गया है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों में बताया गया है। गणेश चतुर्थी पर भोग गणेशजी की स्थापना करने के बाद पूरे विधि-विधान से प्रतिदिन गणेशजी की पूजा-अर्चना और दोनों समय आरती की जाती है। सुबह-शाम गणपति को प्रिय मोदक का भोग लगाया जाता है। भोग लगाने के पश्चात् प्रसाद का वितरण अवश्य करना चाहिए। इन दिनों में गणपति की आराधना-उपासना से जहां सभी कष्टों-बाधाओं का निवारण होता है वहीं मन की संतुष्टि भी प्राप्त होने वाली होती है।

Comments