गणेश गायत्री मंत्र से बड़े से बड़ा संकट होता है दूर || Vaibhav Vyas


 गणेश गायत्री मंत्र से बड़े से बड़ा संकट होता है दूर

सनातन धर्म में हर कार्य को करने से पहले श्री गणेश का पूजन अनिवार्य किया जाता है। माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा से आरंभ किए गए कार्य में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है इसलिए गणेश जी को विघ्न विनाशक भी कहा जाता है। जहां पर गणेश जी विराजते हैं वहां रिद्धि-सिद्धि और धन-लाभ भी विराजते हैं। ऐसे में घर में शुभता का वास होता  है और आपके जीवन से दुखों का अंत होता है। वैसे तो अपने पिता भगवान भोलेनाथ की तरह गणेश जी भी अतिशीघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं किंतु कुछ मंत्रो का जाप करके आप चमत्कारिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इन्हीं मंत्रों में से एक गणपति गायत्री मंत्र के बारे में उल्लेख आता है। संकट के समय में यह मंत्र बहुत शुभफलदायी माना गया है। मान्यता अनुसार इस मंत्र का जाप सच्चे हृदय से करने पर मनुष्य का बड़ा से बड़ा संकट भी टल जाता है।

गणेश गायत्री मंत्र को गणेश जी के मंत्रों के अंशों से जोड़कर बनाया गया है। इसका प्रयोग पंडित-पुरोहितों द्वारा पूजा-पाठ के समय किया जाता है। लोग सिद्धियां प्राप्त करने के लिए भी इस मंत्र का जाप करते हैं। साधारण जन भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। गणेश गायत्री मंत्र-

एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।

महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।

मंत्र जाप की विधि- जिस दिन मंत्र जाप करना हो उस दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानदि करें। इस दिन पीले या गेरूएं रंग के कपड़े पहनना शुभ रहता है। तत्पश्चात किसी मंदिर में जाएं, यदि संभव न हो तो घर में ही आसन लगाकर पूजा करें। आसन पर बैठकर भगवान गणेश का आवाह्न करें। उन्हें सिंदूर, दूर्वा, गंध, अक्षत (चावल), सुगंधित फूल, जनेऊ, सुपारी, पान, फल, आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद ध्यान लगाकर इस मंत्र का कम से कम 21 बार जाप करें। इस तरह से प्रतिदिन जाप करने पर कुछ ही दिनों में आपको सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं।

संसार में अनुकूल के साथ प्रतिकूल, शुभ के साथ अशुभ, ज्ञान के साथ अज्ञान, सुख के साथ दु:ख घटित होता ही है। प्रतिकूल, अशुभ, अज्ञान एवं दु:ख से परेशान मनुष्य के लिये गणेश ही तारणहार है। वे सात्विक देवता हैं। वे न केवल भारतीय संस्कृति एवं जीवनशैली के कण-कण में व्याप्त है बल्कि विदेशों में भी घर-कारों-कार्यालयों एवं उत्पाद केन्द्रों में विद्यमान हंै। मनुष्य के दैनिक कार्यों में सफलता, सुख-समृद्धि की कामना, बुद्धि एवं ज्ञान के विकास एवं किसी भी मंगल कार्य को निर्विघ्न सम्पन्न करने हेतु गणेशजी को ही सर्वप्रथम पूजा जाता है, याद किया जाता है।

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