अनन्त चतुर्दशी पर बांधे अनन्त रक्षा कवच सूत्र || Vaibhav Vyas


 अनन्त चतुर्दशी पर बांधे अनन्त रक्षा कवच सूत्र

अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है. इसमें भगवान अनंत की पूजा की जाती है. इसमें व्रत का संकल्प लेकर अनंत सूत्र बांधा जाता है। माना जाता है कि इसको धारण करने से संकटों का नाश होता है। भगवान कृष्ण की सलाह से पांडवों ने इसका पालन किया और सभी संकटों से मुक्त हुए. इसका पालन करने से और अनंत सूत्र बांधने से व्यक्ति की हर तरह के संकट से रक्षा होती है। साथ ही व्यक्ति का जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन कृष्ण की पूजा-अर्चना और व्रत करने से दरिद्रता का नाश होता है, दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य की समस्याओं से रक्षा होती है,  विशेष मनोकामनाएं पूरी होती हैं, ग्रहों की बाधा से मुक्ति मिलती है, अनंतसूत्र बांधने से यह रक्षा कवच की तरह काम करता है।

अनंत चतुर्दशी के दिन प्रात: काल स्नान करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद कलश पर भगवान विष्णु की स्थापना करें। उनके सामने चौदह गांठों से युक्त अनंतसूत्र रखें और ऊँ अनन्ताय नम: मंत्र जप के साथ भगवान विष्णु और अनंतसूत्र की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद पुरुष इसको दाहिनी भुजा में और स्त्रियां बाईं भुजा में धारण करें। इस व्रत करने को व्रत की कथा सुननी और सुनानी चाहिए। संध्याकाल में भगवान विष्णु की पुन: पूजा करें। शाम को बिना नमक के मीठी चीज़ का सेवन करें।

अनंत चतुर्दशी के दिन ही भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक भगवान गणेश की उपासना के लिए गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। श्री गणेश प्रतिमा की स्थापना चतुर्थी को की जाती है और विसर्जन चतुर्दशी को किया जाता है। कुल मिलाकर ये नौ दिन गणेश नवरात्रि कहे जाते हैं। स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है। इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं।

अनन्त चतुर्दशी के दिन कुछ विशेष उपाय करके जीवन कि मुश्किल से मुश्किल समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। गणेश जी की मूर्ति विसर्जन से पूर्व घर में स्थापित प्रतिमा का विधिवत पूजन करे। पूजन में नारियल, शमी पत्र और दूर्वा जरूर अर्पित करें। उसके बाद भगवान गणेश की विधिवत आरती करें। भगवान गणेश को समर्पित अक्षत घर में अवश्य बिखेर दें और उनसे आशीर्वाद मांगकर विसर्जन करें।

Comments