हर कष्ट-बाधा का निवारण करते हैं शिव मंत्र
श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शिव शंकर को भोलेनाथ इसलिए कहा जाता है क्योंकि थोड़ी सी स्तुति, प्रार्थना से भोलेनाथ जल्दी से अपने भक्त की पुकार सुन लेते है, भोलेनाथ की शक्तियां जितनी अनंत, अपार व विराट हैं, उतना ही सरल है उनका स्वरूप व स्वभाव, इसी वजह से भोलेनाथ भक्तों के मन में समाया है।
शिव मंत्र स्तुति, शिव पूजा व आरती के बाद बोलने से माना जाता है कि इसके प्रभाव से बुरे वक्त, ग्रहदोष या बुरे सपने जैसी कई परेशानियां दूर होती हैं-
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुव्र्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीश:।।
अर्थात् संपूर्ण जगत के स्वामी भगवान शिव मेरे सभी बुरे सपनों, अपशकुन, दुर्गति, मन की बुरी भावनाएं, भूखमरी, बुरी लत, भय, चिंता और संताप, अशांति और उत्पात, ग्रह दोष और सारी बीमारियों से रक्षा करे। धार्मिक मान्यता है कि शिव, अपने भक्त के इन सभी सांसारिक दु:खों का नाश और सुख की कामनाओं को पूरा करते हैं।
इसके अलावा भी भगवान शिव के कई ऐसे मंत्र हैं जिनके जरिए आप अपनी समस्त समस्याओं से मुक्त हो सकते हैं। इनमें महामृत्युंजय तथा पंचाक्षरी मंत्र सबसे बढ़कर माने गए हैं। महामृत्युंजय मंत्र के चमत्कार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रबल दुर्भाग्य योग या मृत्यु योग बन गया हो तो उस व्यक्ति के निमित्त सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से वह योग टल जाता है और उस व्यक्ति पर किसी तरह का कोई अशुभ असर नहीं होता
महामृत्युंजय मंत्र-
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
लघु महामृत्युंजय मंत्र जो लोग महामृत्युंजय मंत्र का जाप नहीं कर सकते, उनके लिए लघु महामृत्युंजय मंत्र का विधान बताया गया है। रात को 9 बजे बाद लघु महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव पर दूध मिश्रित जल चढ़ाने से बड़े से बड़ा रोग और संकट भी टल जाता है। लघु महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार हैं-
ऊँ जूं सं:
पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नम: शिवाय को ही शिव का पंचाक्षरी मंत्र कहा जाता है। इसका नियमित रूप से जाप करना सभी संकटों से मुक्ति दिला देता है। साथ ही मृत्यु के पश्चात व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
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