विधि-विधान से करें अभिषेक || Vaibhav Vyas


विधि-विधान से करें अभिषेक

इन दिनों चातुर्मास चल रहा है और श्रावण चातुर्मास का पहला मास है। इस संबंध में मान्यता है कि जब भगवान विष्णु का शयन काल के लिए पाताल प्रस्थान करते हैं तो पृथ्वी की बागड़ोर भगवान शिव को सौंप देते हैं। चातुर्मास का प्रथम महीना श्रावण में भगवान शिव, माता पार्वती के साथ पृथ्वी लोक का भ्रमण करते हैं और शिव-पार्वती अपने भक्तों की पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
श्रावण मास में शिवजी की सरल पूजन विधि से अर्चना करनी चाहिए। इसलिए इस मास में ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें। पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें। घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजन सामग्री- गंगा जल, गाय का कच्चा दूध, गाय का दही, गाय का घी, सेत शक्कर, केशर, चन्दन, कपूर, भांग, अन्तर, धूपबती, बिल्लव पत्र, ऋतु फल, प्रसाद (मावा), आक धतूरा की माला, शमी पत्र, पुष्प, साबुत चावल, जनेऊ 5 नग, भगवान गणेश जी के व माता पार्वती जी एवं नन्दीगण महाराज के लिए कुमकुम, केशर, मोतीचूर के लड्डू, मावा के प्रसाद, माला, गुलाब के पुष्प आदि। पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें-

मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये- इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें-
ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैव्र्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।

ध्यान के पश्चात ऊँ नम: शिवाय से शिवजी का तथा ऊँ शिवायै नम: से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें। तत्पश्चात आरती कर प्रसाद वितरण करें। इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।
इसके अलावा श्रावण मास में शिवालयों में शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया जाता है। विधिवत रूप से किए गए रुद्राभिषेक से ही भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं।
पूरे रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक न भी किए जाए तो कम से कम इन मंत्रों के उच्चारण के साथ भी शिवलिंग पर अभिषेक किया जा सकता है। मंत्र-

ऊँ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च। या फिर ऊँ सौं सोमाय नम:, ऊँ नम: शिवाय, ऊँ नमो भगवते रुद्राय आदि मंत्रों से पूर्ण भक्ति भाव से अभिषेक लाभप्रद रहता है।

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