चंद्रमा और भगवान शिव का संबंध || Vaibhav Vyas

 

चंद्रमा और भगवान शिव का संबंध

चंद्रमा को सोम भी कहा जाता है। सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है और इस दिन भगवान शिव के पूजन से मनुष्य को विशेष लाभ प्राप्त होता है। चन्द्रमा के अधिदेवता भी शिव हैं और इसके प्रत्याधिदेवता जल है। महादेव के पूजन से चंद्रमा के दोष का निवारण होता है। महादेव ने चंद्र को अपनी जटाओं पर धारण किया हुआ है। इस प्रकार भगवान शिव की पूजा से चंद्रमा के उलटे प्रभाव से तत्काल मुक्ति मिलती है। भगवान शिव के कई प्रचलित नामों में एक नाम सोमसुंदर भी है। सोम का अर्थ चंद्र होता है।

शास्त्रों में वर्णित चंद्र दोष के उपाय में सोमवार का व्रत करना, माता की सेवा करना, शिव की आराधना करना, मोती धारण करना, दो मोती या दो चांदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा देना तथा दूसरे को अपने पास रखना है। सोमवार को सफेद वास्तु जैसे दही, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र, 1 जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना और ऊँ सोम सोमाय नम: का 108 बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है।

चन्द्रमा के अधिदेवता शिव हैं अत: महामृत्युंजय मंत्र जाप शिव पूजा एवं शिव कवच का पाठ चंद्रपीड़ा में श्रेयस्कर है ही, साथ ही प्रत्याधिदेवता जल होने के कारण गणेशोपासना भी शुभदायी है, क्योंकि गणेश जलतत्व के स्वामी हैं। गौरी, दुर्गा, काली, ललिता और भैरव की उपासना भी हितकर है। दुर्गा सप्तशती का पाठ तो नवग्रह पीड़ा में लाभप्रद रहता ही है, क्योंकि यह समस्त ग्रहों को अनुकूल करता है व सर्व सिद्धिदायक है। इसके अलावा चंद्र मंत्र व चंद्रस्तोत्र का पाठ भी अतिशुभ है। चंद्रमा की पीड़ा शांति के निमित्त नियमित (अथवा कम से कम सोमवार को) चंद्रमा के मंत्र का 1100 बार जाप करना अभिष्ट होता है।

जाप मंत्र-

ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:

चंद्र नमस्कार के लिए मंत्र-

दधि शंख तुषारामं क्षीरोदार्णव सम्भवम्।

नमामि शशिनं भक्तया शम्भोर्मकुट भूषणम्।

शिव का महामृत्युंजय मंत्र-

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्ष्रिय मामृतात्।

इसे मृत संजीवनी मंत्र भी कहा गया है. यह मंत्र दैत्य गुरु शुक्राचार्य द्वारा दधीचि ऋषि को प्रदान किया गया था। चन्द्र दोष निवारण के लिये श्रावण मास में रुद्राभिषेक करवाएं। यदि आपके आसपास कोई शिव मंदिर हो तो वहां जाकर विशेष पूजा -अर्चना करनी चाहिए।

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