भोलनाथ की कृपा पाने के लिए करें सोमवार का व्रत || Vaibhav Vyas


 

भोलनाथ की कृपा पाने के लिए करें सोमवार का व्रत

भगवान शिव की साधना के लिए सबसे शुभ माना जाने वाला पावन श्रावण मास होता है। वैसे तो पूरा श्रावण मास ही भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए अत्यंत शुभ है लेकिन श्रावण मास में पडऩे वाले सोमवार को अत्यंत मंगलकारी माना गया है। वैसे तो श्रावण मास नहीं हो तब भी प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष विधान माना गया है। श्रावण मास के सोमवार के दिन भोले भंडारी की पूजा करने का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन साधना करने वाले साधक पर भगवान शिव की विशेष कृपा शीघ्र बरसती है।

भगवान शिव का आशीर्वाद दिलाने वाले सोमवार व्रत को श्रावण मास के प्रथम सोमवार से प्रारंभ कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि शिव कृपा दिलाने वाले इस व्रत को प्रारंभ करने के बाद कम से कम 16 सोमवार जरूर पूरे करने चाहिए। सोमवार के व्रत का उद्यापन श्रावण, वैशाख, कार्तिक, चैत्र एवं मार्गशीर्ष आदि मासों में ही करना चाहिए।

सबसे पहले प्रात: काल उठकर स्नान कर लें। उसके बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। इसके बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़क लें। ऐसा करते वक्त आप ओम नम: शिवाय का मन ही मन स्मरण करते रहें। अगर घर में शिवलिंग है तो आप उस पर जल अर्पित कर सकते हैं, अगर शिवलिंग नहीं है तो आप मिट्टी का शिवलिंग बना सकते हैं, जिसे पार्थेश्वर महादेव भी कहा जाता है। इस दिन जितना संभव हो ऊँ नम: शिवाय मंत्र का अधिकाधिक जाप करने से मानसिक संतुष्टि के साथ-साथ श्रद्धा-भक्ति में मन रमने लगता है।

इसके बाद भगवान शिव की तस्वीर रखकर बैठ जाएं और पूजा शुरू कर दें। व्रत की कथा पढ़ें और भगवान को पुष्प, दीप, धूप समर्पित करें। पूजा खत्म होने के बाद आप मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये" मंत्र पढ़ें, साथ ही ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्। पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैव्र्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम् मंत्र का जाप करें फिर शिव चालीसा पढऩे के बाद आरती कर प्रसाद का सभी में वितरण करना चाहिए।

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