जप ले बंदे ऊँ नम: शिवाय || Vaibhav Vyas


 

जप ले बंदे ऊँ नम: शिवाय

शास्त्रों, धर्म ग्रंथों, पुराणों या फिर वेदों को ही ले लें जहां मंत्रों की शक्ति का न केवल गुणगान ही मिलेगा, अपितु उनके प्रभावी और चमत्कारी परिणामों की शृंखला भी सुनने, समझने और आत्मसात करने के लिए मिल जाएगी। मंत्र जप एक ऐसा उपाय है जिससे सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। शास्त्रों में मंत्रों को शक्तिशाली और चमत्कारी बताया गया है। हिंदू धर्म के सबसे शक्तिशाली मंत्र उन मंत्रों को माना गया है, जिन्हें या तो किसी सिद्ध पुरुष ने सिद्ध किया है, या फिर कठिन तपस्या के पश्चात् किसी ने स्वयं ही सिद्ध किया है। किन्तु आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी और व्यस्तता के बीच इन सब बातों को सुनने-समझाने के बजाय सीधी सरल भाषा में बात करें तो जीवन को सार्थक करने वाले मंत्र इस धरती पर बिखरे पड़े है, जरूरत है तो केवल उन्हें समझकर आत्मसात करने की है। ऐसा ही एक सीधा और सरल मंत्र है- ऊँ नम: शिवाय। जी हां, यह केवल मंत्र ही नहीं बल्कि इसे महामंत्र भी कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। स्वयं शिव जी द्वारा इसे सिद्ध करना माना गया है। इस प्रभावी मंत्र ऊँ नम: शिवाय का अर्थ और उनका जाप करने से होने वाले फायदे अगणित माने गए हैं। शिवपुराण में ऊँ नम: शिवाय को ऐसा मंत्र बताया गया है कि ऊँ नम: शिवाय मंत्र के जप से सारी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। वैसे तो सभी मंत्र अपना प्रभाव रखते हैं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र केवल एक मंत्र का जाप करने से आप अपने जीवन में सफल हो सकते हैं। शिव पुराण में इस मंत्र को शरणाक्षर मंत्र भी कहा गया है। क्योंकि इसका निर्माण प्रलव मंत्र ओम के साथ नम: शिवाय पंचाछर मंत्र का मेल करने पर हुआ है। शिव पुराण में बताया गया है कि इस मंत्र के महत्व का वर्णन सौ करोड़ वर्षो में भी संभव नहीं है। ऊँ नम: शिवाय का अर्थ है- घृणा, तृष्णा, स्वार्थ, लोभ, ईष्र्या, काम, कोध्र, मोह, माया और मद से रहित होकर प्रेम और आनंद से परिपूर्ण होकर परमात्मा का सानिध्य प्राप्त करें।

चूंकि यह मंत्र स्वयं शिव द्वारा सिद्ध माना गया है इसलिए इसके जाप में किसी तरह के यम-नियम भी नहीं है यानि आप बिना स्नान किए भी इस मंत्र को जप सकते हैं। इस मंत्र को किसी भी अवस्था में मन ही मन या फिर उच्चारण के साथ कभी भी कहीं पर भी जपा जा सकता है जो मन को शांति देने वाला और आने वाले अनिष्ट से रक्षा करने वाला होता है। आप चलते-फिरते, उठते-बैठते, भजन-भोजन, राह चलते, घूमते-फिरते समय कर सकते हैं। जैसे-जैसे इसकी नियमितता और जाप की संख्या बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे मन को सुकून और शांति का अनुभव होने लगेगा।

इस मंत्र जब ज्यादा असरदार और मंगलकारी बनता है। वैसे तो कभी भी कहीं भी जप वाले इस मंत्र को यदि किसी देवालय, तीर्थ या घर में शांत जगह पर बैठकर करें तो ज्यादा असरदार और मंगलकारी बन जाता है। पंचाक्षरी मंत्र यानी नम: शिवाय के आगे हमेशा ऊँ लगाकर जप करें। पंचाक्षरी मंत्र की अवधि में यदि व्यक्ति खानपान, वाणी, और इंद्रियों पर पूरा सयम रखें। गुरू और माता-पिता के प्रति सेवाभाव और सम्मान मंत्र जप काल के दौरान न भूलें तो सोने पे सुहागा वाली कहावत चरितार्थ हो जाती है। ऊँ नम: शिवाय मंत्र जहां भौतिक मनोरथ की पूर्ति करने वाला माना गया है वहीं आध्यात्मिक मार्ग पाकर मोक्ष की प्राप्ति और महाकाल की असीम कृपा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। धार्मिक लाभ के अलावा ऊँ नम: शिवाय मंत्र स्वास्थ्य को भी संबल देने वाला होता है क्योंकि इसके उच्चारण मात्र से समस्त इन्द्रियां जाग्रत अवस्था में आने लगती हैं।

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