शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने से होती है मनोकामनाएं पूर्ण || Vaibhav Vyas




 शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने से होती है मनोकामनाएं पूर्ण


बिल्व पत्र की महिमा का गान स्कंदपुराण में आता है जिसके अनुसार बेल पत्र के वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में कहा गया है कि एक बार मां पार्वती ने अपनी उंगलियों से अपने ललाट पर आया पसीना पोंछकर उसे फेंक दिया। मां के पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं। कहते हैं उसी से बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष की जड़ों में मां गिरिजा, तने में मां महेश्वरी, इसकी शाखाओं में मां दक्षयायनी, बेल पत्र की पत्तियों में मां पार्वती, इसके फूलों में मां गौरी और बेल पत्र के फलों में मां कात्यायनी का वास हैं। इतना सब कुछ बिल्व पत्र के साथ होने की वजह से ही शिव को अत्यन्त प्रिय माना गया है।

सावन हो, शिव रात्रि हो, मासिक शिवरात्रि हो या साप्ताहिक सोमवार को शिव पूजा। भगवान आशुतोष की आराधना में बेल पत्र यानि बिल्व पत्रों को विशेष महत्व है। मान्यता है कि आस्था के साथ शिवलिंग पर सिर्फ बिल्व पत्र ही अर्पित किये जाएं तब भी भगवान भोलेनाथ अपने भक्त की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। बिल्व पत्र के वृक्ष को श्री वृक्ष और शिवद्रुम भी कहते हैं। बिल्वाष्टक और शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं। मान्यता है कि बेल पत्र के तीनों पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। बिल्व पत्र के पूजन से सभी पापों का नाश होता है।

इतना ही नहीं, बिल्व का पेड़ संपन्नता का भी प्रतीक है। बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है। मान्यता है कि बिल वृक्ष में मां लक्ष्मी का भी वास है। घर में बेल पत्र लगाने मात्र से ही देवी महालक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं। बेलपत्र से भगवान शिव का पूजन करने से समस्त सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है। धन-सम्पति की कभी भी कमी नहीं होती है। बिल्व वृक्ष की विशेषताएं-

* बेलपत्र के पेड़ की टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोडऩा चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोडऩा चाहिए।

* बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते। 

* अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है।

* वायुमंडल में व्याप्त अशुद्धियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है। 

* चार, पांच, छ: या सात पत्तों वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है।

* बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।

* सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है।

* बेल वृक्ष को सींचने से पितृ तृप्त होते हैं।

* बेल वृक्ष और सफेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

* बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे।

* जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते हैं।

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