सात जन्मों का पाप हरते द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् || Vaibhav Vyas


 सात जन्मों का पाप हरते द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्।1।

परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।

सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने।2।

वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।

हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये।3।

एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:।

सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति।4।

। इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति संपूर्णम्।

जो भी व्यक्ति प्रतिदिन इस द्वादश ज्योर्लिंग स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करता है तो वह भगवान शिव का आशीर्वाद पाता है। केवल इतना ही नहीं, उसके सात जन्मों के पापों का भी क्षय होने वाला रहता है। ज्योति का अर्थ- लौ- है और लिंग भगवान शिव का प्रतीक है। भारतवर्ष में भगवान शिव के मुख्य रूप से बारह ज्योतिर्लिंग स्थित हैं जो बारह अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं। यदि किसी व्यक्ति को इन बारहों ज्योतिर्लिंगों पर जाने का सौभाग्य प्राप्त होता है तो वह शिवधाम में जाने का सौभाग्य पाता है। मन, कर्म व वचन और श्रद्धा से जो विश्वास के साथ इस स्तोत्र को जपता है उसके जीवन की कठिनाइयांं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और उसे ज्योतिर्लिंग जाने के स्वरूप पुण्य की प्राप्ति होती है।

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