घोड़े की नाल एवं नाव की कील (साढ़ेसाती और ढ़य्या में) इन उपायों का महत्व || Vaibhav Vyas

घोड़े की नाल एवं नाव की कील
(साढ़ेसाती और ढय्या में) इन उपायों का महत्व



अमूमन जब व्यक्ति साढ़ेसाती या शनिदेव के प्रवासकाल में चल रहा होता है, तो वहां निरंतर संघर्षों की अनुभूतियों को महसूस करता है। उस समय ये सलाह दी जाती है कि आप घोड़े की नाल या नाव की कील का छल्ला बनाकर उसे धारण करें। व्यक्ति इस उपाय के साथ ये स्वीकार कर लेता है कि शनिदेव कि जो प्रमुखतः धातु, वो लोहा ही है, इसी वजह से यहां इस धातु को धारण करने की सलाह दी गई है। परन्तु यहां आप ये देखें कि घोड़े की नाल ना जाने कितने अनगिनत घर्षण सहन करती है, पथरीले रास्तों से टकराना, उन डामर की तपती हुई सड़कों से पूरे दिन दो-चार होना, तो वहीं उसके बाद उन रास्तों को तय करना जहां से जीवनक्रम अनवरत जारी रहता है। 

वही स्थिति नाव की कील की भी है, लहरों के अनगिनत थपेड़ों से तूफानों के उस विराट भयभीत करने वाले स्वरूप में भी एक छोटी सी नाव को बांधने का अदम्य साहस किसी में है तो वो नाव की कील में ही है। 

पतवार उसी समय नाविक चला पाता है, जब नाव अपना संबल लिए हुए हो, और आखिरकार जब अपने रास्ते पूरे करके नाव तट पर पहुंचती है तो वो जीवन की जीवट विजय का अहसास है। इसी वजह से ये दोनों ही स्वरूप जीवन के संघर्ष का मानक है तथा इसी के साथ जब व्यक्ति ऐसे संघर्षों की प्रतिमूर्ति को धारण करता है, तो वो अपने भीतर के भय, अवरोध, दुराव तथा बारम्बार परिस्थितियों के भंवरजाल में खुद को उलझता हुआ महसूस नहीं करता। 

वहीं प्रमुख तौर पर ये जीवन का वो सम्प्रेषण है, जहां से हम अपने रास्तों में कंटकों को हटाकर संकटों को मिटाने की ताकत रखते हैं। 

ये यही वजह है कि घोड़े की नाल और नाव की कील की उपयोगिता ऐसे समय में बहुत अधिक बढ़ जाती है।

हम एक उदाहरण से देखें कि परिस्थितियों ने पूरे तरीके से उलझा रखा हो और कोई ऐसा व्यक्ति हम से आकर कहे कि ये समय पार हो जाएगा और वो बिल्कुल सहजता से बात रखता है, परन्तु उसके जीवन में अभी तक अनुभव की झलक नहीं है तो हम उस बात को स्वीकार नहीं करते हैं। परन्तु जैसे ही कोई ऐसा व्यक्ति जिसने उन सारी ही विपरीत विपदाओं को देखा है, जहां से जीवन हर दिन परीक्षा लेता है, ऐसे व्यक्ति की बात स्वीकार करने में भी आती है तथा मन की चंचलता तथा व्यघ्रता शांत हो जाती है। 

ये ही वजह है कि जब हम पथ के पथिक हांे, नाव के नाविक हांे, उस वाहन के चालक हों जो जीवन रूपी समरागंण में लगातार जद्दोजहद कर रहा हो तो ऐसे उपाय उसे हारने नहीं देते।

 


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