जीवन में कर्म क्षेत्र ऊर्जा देता है ।

 नए सप्ताह की शुरुआत है, हम पुन: अपने प्रयासों के साथ अपने कर्म क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्म क्षेत्र के अंदर अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहता है। इसी उम्मीद के साथ जब भी कोई नई शुरुआत होती है, भले ही दिन की शुरुआत होती है, सप्ताह की हो, महीने की हो , साल की हो, इसके साथ कोई नौकरी की हो, या नए व्यापार की हो, जो शुरुआती तौर पर आपको ऊर्जा देती है जिसको महसूस करने की आवश्यकताएं प्रत्येक व्यक्ति को रहती है। इसको और गहराई से जीवन में समझा जाए या जीवन में उतारा जाए तो हमारे द्वारा जो प्रयत्न किए जा रहे हैं, उसमें शुरुआती ऊर्जा सबसे महत्वपूर्ण है। आप एक व्यापार की शुरुआत कर रहे हैं या सप्ताह की शुरुआत करने की ओर जा रहे हैं। 

मन के भीतर एक  एप्रोच के बाद ऊर्जा है कि नहीं आज तो हम अच्छा करने वाले होंगे और सफलता के मानक स्थापित करते चले जाएंगे। जब ये सारे ही विचार हमारे भीतर हैं। जैसे ही हमारे ऑफिस कल्चर में कर्म क्षेत्र में पहुंचते हैं। धीरे-धीरे किसी फस्र्टेशन का शिकार क्यों होने लगते हैं। क्योंकि हम उस विचार को बहुत पीछे छोड़ चुके हैं। जो नएपन की शुरुआत हो चुकी, जैसे ही कामकाज में उलझे, लोगों की बातों के साथ जुड़े वहीं से कई बार नेगेटिविटी सामने आने लगती है और हमारे प्रयत्न शिथिल होने लगते है। उसमें शुरुआत में ही थकावट आने लगती है। कोई प्रोजेक्ट आया है, कलिग आकर कहता है कि फिर से प्रोजेक्ट हमें दे दिया गया, कितनी मुश्किलों से पिछला प्रोजेक्ट समयबद्धता के साथ पूरा किया था, फिर से यही स्थिति है।

 आप ऊर्जा के साथ थे, उस टास्क कम्पलीट करना चाहते थे, किन्तु एक व्यक्ति की नकारात्मकता ने आपको भी नकारात्मक करके रख दिया। कि वाकई सही कह रहा है, कल तो काम पूरा किया था, आज फिर से नई टास्क सामने है। आप जिस प्रयत्न के साथ चल सकते थे उसको कहीं न कहीं शून्य करते चले गए। इसी वजह से व्यक्ति को ऐसी विचारधाराओं से दूर रहने की आवश्यकता होती है। जो आप ठान चुके हैं, जो आप शुरुआत के बारे में सोच चुके हैं, हम अक्षुण्ण हद के ऊपर उसका अंत देखने वाले हों यानि कि एग्ज्यूकेशन का लेवल देखने वाले हों कि काम इस तरह पूरा होगा तब तक रुकने थकने वाला नहीं हूं। 

व्यापारिक जीवन है, कोई बड़ी टास्क सामने है, सप्ताह में दस से बारह लोगों से मिलकर चर्चा करनी है। आपको तीन से चार जगह यात्रा करनी है तो अब शुरुआत के अंदर वो सारी स्थितियां पहाड़ के रूप में नजर आने लगती है तो पहले से ही व्यक्ति खुद को परेशान कर देता है। प्रयत्नों के अंदर थकावट आने लगती है। ऐसी सारी ही स्थितियों से दूर रहते हुए छोटे-छोटे टुकड़ों के अंदर खुद को टास्क दी जाए और हरेक टास्क पर खड़े होकर विजय की अनुभूति की जाए तो आप देखिये, कि उस कार्य का सफर आसान होने लगता है। इसी वजह से शुरुआत के अंदर जो ऊर्जा साथ में समाहित है उसको छोटी-छोटी कार्य के साथ लेकर चलेंगे तो प्रत्येक स्तर पर नई ऊर्जा महसूस करेंगे। तो आप देखिये कि ऊर्जा के साथ सफलता को भी लेकर आने वाला हो जाएंगे।

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