सुकून के लिये डी. एन . डी की एप्रोच के साथ में चलना ।

 अपनी भागदौड़ से दूर कुछ दिन व्यक्ति किसी रिसोर्ट में किसी जगह सुकून में बिताना चाहता है। तो जब वो रूम में एंटर होता है उसके पास एक टैग के रूप में ओप्शन होता है कि आप डी. एण्ड डी. उस रूम के बाहर लगा सकते हैं। यानि कि किसी भी होटल या रिसोर्ट की सर्विस के लिए आपके लिए डिस्टर्बेंस सामने नहीं आएंगे। डू नोट डिस्टर्ब की पोजीशन होगी। मोबाइल में भी आप्शन आते हैं, वहां एक आप्शन गाड़ी ड्राइव करते हैं तो वहां मोबाइल में एक आप्शन सामने आता है कि आप डी एण्ड डी मोड चाहते हैं यानि कि जो भी कॉल होगा या तो बीजी टोन जाएगा या मैसेज जाएगा कि अगला व्यक्ति ड्राइव कर रहा है, कुछ समय बाद प्रयास कीजियेगा। ये डू नोट डिस्टर्ब की स्थिति है जिससे ड्राइव में सजगता रख सके। 

जब कमरे में प्रवेश करे तो कोई आपको डिस्टर्ब करने वाला नहीं हो। ये सुविधा उस आधार पर काम करने वाली होती है। किन्तु क्या हम अपने मन के भीतर भी इस डी एण्ड डी की एप्रोच कभी अपना पाते हैं। कोई भी व्यक्ति ऑफिस कल्चर में आया और आपको कुछ भी कहकर चला गया। हम भीतर तक व्यथित होकर रह गए। कोई भी कुछ भी कहकर चला जाएगा, हम या तो रियेक्टिव होंगे या फिर परेशान होते चले जाएंगे। तो क्या डू नोट डिस्टर्ब की एप्रोच हमारे साथ काम करने वाली होती है। रात को जब व्यक्ति पूरे दिन की जद्दोजहद के बाद में सोने की ओर जाता है तो वहां पर भी न जाने कितने विचार मन में घूम रहे होते हैं न जाने कितने अधूरे ख्यवाब है जो प्रत्येक दिन साथ चलते हैं। इतनी चिंताएं है जो भीतर तक बहुत गहरे से जम चुकी होती है और रात के समय उसकी परत पुन: उठती है और व्यक्ति को चिंताओं के साथ घेर कर चली जाती है। 

क्या वहां हम छोटा सा खुद का भीतर का एक साइनिंग एप्रोच लगा पाते हैं। यहां हमको डू नोट डिस्टर्ब की एप्रोच के साथ में चलना है। ये विचार हमको डिस्टर्ब करने वाले नहीं हो। इस रिफाइन प्रोसेस के लिए हमको लगातार मेहनत करनी होती है। वहां तो सिर्फ टैग काम कर देता है, किन्तु जीवन है वहां लोगों से मुलाकात होगी, हर दिन चर्चाएं होगी, हरेक व्यक्ति अलग-अलग मंतव्य के साथ अपने स्वार्थ या फिर कुछ हद तक निस्वार्थ भाव के साथ में भी जुडऩे का प्रयास करेगा या स्नेह के आधार के साथ भी जुड़ेगा किन्तु उसके एक तरह थोट प्रोसेस में कितनी नकारात्मकता है, किस सकारात्मक लेवल के साथ है। 

हम अपने रिफाइंड एप्रोच के साथ में किस तरह से डू नोट डिस्टर्ब की एप्रोच को लेकर चल रहे हैं, ये समझने की आवश्यकताएं पूरे तरीके से रहती है़। जब भी मन विचलित हो और हम अपने विचारों के साथ में उसी तरह का रिवीजन देख रहे हैं जिस तरह से स्कूल में व्यक्ति शिक्षा पूरी कर लेने के बाद यानि एक वर्ष के कोर्स को पूरा करने के बाद एक्जाम से पहले रिवाइज की ओर जाता है। व्यक्ति अपनी चिंताओं को लगातार कई बार रिवाइज करता चला जाता है वहां यदि छोटा-सा साइन बोर्ड लगा दिया जाए जो कि डू नोट डिस्टर्ब की एप्रोच को दिखाता हो तो खुद के भीतर एक रिलीफ ला सकते हैं। मन के भीतर निश्चिंतता को जन्म देने वाले हो सकते हैं। इसीलिए इस बारे में सोचने की आवश्यकताएं हमको रखनी चाहिए। इसी आधार पर हम अपने विचार के साथ दिन की शुरुआत करे तो इसी में बेहतरी है।

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