अनुभव नामक शिक्षा जो मिल रही है उसको ग्रहण करना ।

एक समय तक जिस स्थिति का नाम या जो समय हमने व्यतीत किया है तो उसका नाम शिक्षा है। तो उसी के बाद दूसरे फ्रेम में उसका नाम अनुभव है। हम जब शिक्षा में होते हैं तो वहां पन्द्रह-बीस साल तक लगातार जद्दोजहद करते हुए, विंग स्ट्रोमिंग करते हुए सीखते हैं। थ्योरी, प्रेक्टिकल, व्यावहारिक ज्ञान की स्थितियां, लोगों के साथ समझ के दायरों को बढ़ाने का आधार है तो वहां जब भी आप अपने लिए कोई भी लिखित माध्यम या स्थितियों को लिखेंगे तो ये कहेंगे कि मैंने ये ये शिक्षा इस इस तरह से प्राप्त की है। किन्तु एक समय के बाद वो ही शिक्षा जो व्यावहारिक स्तर के ऊपर कामकाजी जीवन में व्यक्ति प्राप्त करता है उसका नाम अनुभव हो जाता है। आपके पास में कितने वर्षों का अनुभव है। तो जब अनुभव भी शिक्षा है उस समय व्यक्ति किस तरह से सीख रहा है वो सबसे महत्वपूर्ण है। कामकाज के भीतर व्यक्ति होता है वहां उसको फाइनेंसियल गेन मिलता है, और फाइनेंिसल के साथ सीखने को भी मिलता है। किन्तु यदि वहां सिर्फ जीवन गणनाओं के साथ में चलता रहे तो किस तरह के इन्क्रीमेंट लग रहे हैं, क्या पोजीशन है, क्या ग्रोथ देख रहे हैं। 

आप देखिये, एक व्यक्ति जब अपना सी.वी. रखे और उसमें तीन बार जॉब चेंज की है, जॉब चेंज के साथ इतने इन्क्रीमेंट के बेस रहे और यहां इस पैकेज के साथ कामकाज कर रहा है किन्तु वहीं एक दूसरा व्यक्ति है। जिसने चेंजेंज किए, प्रोफाइल में भी चेंज किए, ग्रोथ मिली। इसका अर्थ यह है कि उसने लगातार स्वयं को शिक्षित करने का काम किया है। कन्वेंसल शिक्षा से दूर हटकर भी लगातार खुद को सीखाते चले जाना स्वयं के भीतर न जाने कितना कुछ आत्मसात करते चले जाना वो आपके लिए एक रिश्क का बेस क्रियेट करने वाला मीडियम भी होता है। पचास वर्ष की उम्र हो गई, एक ही प्रोफाइल के साथ काम करता रहा वनस्पति आप देखिये। 

एक व्यक्ति की पैंतालीस वर्ष की उम्र है उसने तीन-चार प्रोफाइल में काम किया है तो आगे चलकर रिस्क का बेस है वो चार प्रोफाइल वाले का ज्यादा होगा क्योंकि उसने अलग अलग अनुभव लेने का प्रयास किया है यानि खुद को एडवांसमेंट के साथ रखने का प्रयास किया। इसी वजह से शिक्षा के साथ बाद भी अनुभव नामक शिक्षा जो मिल रही है उसको ग्रहण करना, उसके साथ में जीवन को एक नयापन देना और नयापन देने के साथ में भी एक तरह से पोजीटिव बेस देते चले जाना भी बहुत अधिक आवश्यक रहता है। यही वजह है कि हम सीखें, सीखने के साथ में जो वर्ष अनुभव दे रहे हैं उनको ग्रहण करके जो रास्ता सामने है उसको पूरे तरीके से आत्मसात करें और जहां पर भी हमको जिस भी हिसाब से किसी व्यक्ति के साथ जुडऩे का मौका मिले जो हमको काफी कुछ नया दे सकता है वहां रिक्वेस्टिव मोड के साथ चलने का प्रयास जरूर करना चाहिए।

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