प्रो एक्टिव होना कर्म सिद्धान्त को बढ़ाता है।

 एक्टिव होने में और प्रो-एक्टिव होने में बहुत बड़ा फर्क है। भले ही स्वास्थ्य हो, कामकाजी जीवन हो, रिटायरमेंट की प्लानिंग हो, किसी जॉब में जाना हो। इन सभी स्थितियों में जो प्रो-एक्टिव है, पहले से ही सजग है और संभावनाओं को देखकर चल रहा है, वहीं से वो आसानी से विजय प्राप्त करता चला जाता है। जब डॉक्टर सलाह देंगे कि अब आपको चार से पांच किलोमीटर पैदल चलना है। डायबिटिज की स्थितियां आती है, हार्ट को रिलेट करती हुई प्रोबल्म्स को संभालना है तब भी पैदल चलिये। उस समय से आप अपने रुटिन में आधा या एक घंटा ऐसा निकालते हैं जब मार्निंग या इवनिंग वॉक की ओर जाने की तैयारी करते हैं, किन्तु जो प्रो एक्टिव है वो शुरुआत से ही ऐसे नियम खुद के साथ बांधकर चलता है और दुविधाओं को जन्म देने वाला नहीं होता। तो वहीं व्यक्ति आज के इस काम्पीटिटिव वल्र्ड में लगातार शिक्षा की ओर जाता है। कभी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ शिक्षा को आगे बढ़ाता है, कोई लेंग्वेज आ रही है या फिर जो भी फाइनेंसियल फील्ड में नए-नए टूल सामने आ रहे हैं उसमें भी शिक्षा हासिल करता है। कुछ लोग इसमें दो प्रवृतियों के साथ चलते हैं। 

जब भी कोई कोर्स आया वो जब आवश्यक हो गया कि हमको सीखना ही है, हम उस समय गए। और एक अवसर ऐसा था, जब लोग पूरे तरीके से उसको स्वीकार ही नहीं कर पाए थे तभी हम उस कोर्स की ओर बढ़ गए और खुद को प्रो एक्टिव के साथ स्वीकार करते चले गए। कोई कामकाज सामने आ रहा है, आपको लगता है कि मेरे फील्ड का नहीं है, आप पहले से तैयारी करते हैं और तैयारी के साथ में चलते हुए ही स्वयं को कहीं न कहीं एक बेहतर आधार देने वाले होते हैं। जॉब की तरफ जा रहे हैं, अनुभव अच्छा खासा है। किन्तु यहां प्रोफाइल चेंज हो रही है, पढऩे की आवश्यकता है। हमको लगता है कि स्थितियों को संभाल लेंगे ये एक संभावना है, जहां आप स्वयं ही संशय के भीतर हैं। ऐसे संशय से दूर हटकर यदि उस विषय के साथ में थोड़ी सी जानकारी हासिल कर ली जाए तो बेहतरी निकलकर आती है। 

ज्योतिष विज्ञान में भी आप देखते हैं किसी ने आपको कहा कि वृहस्पति और चन्द्रमा की स्थितियां साथ है। गज केसरी का निर्माण हो रहा है, किन्तु ये दोनों ही कहां साथ में है। राहू और चन्द्रमा की पोजीशन के साथ ग्रहण दोष बन रहा है, किन्तु राहू यदि अपने उच्चस्थ स्थान में हो और चन्द्रमा बिलकुल स्वराशि अभिलाषी हो चुके हों 20 डिग्री पर हो तो हम उस प्रभाव को क्या कहेंगे किन्तु आप पूरे ही जीवन भयभीत रहकर चले। प्रो एक्टिव होकर एक बार जान लिया जाए, स्वयं भी विश्लेषण किया जाए फिर तार्किक स्तर पर स्थितियों को समझा जाए तो बेहतरी निकलकर आती है। इसी वजह से संभावित तौर पर प्रत्येक क्षेत्र में प्रो एक्टिव रहकर चलना, जानकारी हासिल करना और फिर अपने कर्म सिद्धान्त को बढ़ाना एक बेहतर आधार को निर्मित करता है।

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