विषय क्षेत्र में रूचि का होना जरुरी है ।

किसी भी व्यक्ति की सी.वी. में उसकी डिग्रीज के साथ में कौन कौन से विषय में उसकी रुचि है। कौन कौन सी जानकारियां वो अलग-अलग क्षेत्रों में प्राप्त कर चुका है और कहां पर वो अपनी संभावनाओं को और अच्छे से लेकर चलना चाहता है। कहां उसकी जिज्ञासाएं हैं वो सब कुछ लिखता है। इसके पीछे मंतव्य ये नहीं है कि उसको सिर्फ पन्ने भरने है, उसके पीछे वजह यह भी है कि वो किसी आर्गेनाइजेशन में जा रहा है और जिस कामकाज की वजह से जा रहा है उसके अलावा कहीं पर भी आवश्यकता हो तो वहां पर भी वो अपनी सेवाएं बहुत बेहतर तरीके से दे पाए। प्रत्येक व्यक्ति में अपने कार्य क्षेत्र के हुनर और अनुभव के साथ में बहुत सारी संभावनाएं छुपी हुई होती है। जिसको सामने रखने की आवश्यकताएं हैं और जब भी हम ये सोच लेते हैं कि जिस कामकाज के साथ है, जिस तरह से चल रहे हैं, बस वहीं चलते रहते हैं इसके अलावा हम कोई भी एक्स्ट्रा वर्क की ओर क्यों जाएं, वहीं से स्वयं की संभावनाओं को हम घटाने लग जाते हैं। वहां एक बार प्रयास करके देखना और रुचि के साथ में जाना आवश्यक है। 

पिछले वर्ष की स्थितियों में लॉक डाउन जैसी स्थितियां रही। आर्टिस्ट में रुचि जो स्कूल टाइम में पीछे छूट गया और संभावनाओं को तलाशा। लोगों के सामने भी रखा। वो पैसिव इनकम का सोर्स बन गया। किसी को हारमोनियम के साथ लगाव रहा है, आज वो स्थिति 20 से 25 वर्ष पहले पीछे छूट चुकी थी, पुन: जीवन में एक समय के साथ प्रवेश करती है व्यक्ति वहां स्वयं को फिर से एक जाग्रति के साथ में देखता है और आप देखिये, जीवन में वहीं से चमत्कार घटित होने लगते हैं। मन के भीतर न जाने कितना कुछ संभावनाओं के रूपक के रूप में छुपा हुआ है किन्तु व्यक्ति इसको इग्नोर करता हुआ चला जाता है। कई बार कहता है कि सकर्मचांसेज ऐसे रहे। इस वजह से जहां बढऩा था, वहां नहीं बढ़ पाया। जहां से बहुत कुछ हासिल कर सकता था, वहां जा नहीं पाया। आप एक कंप्यूटर पर मिनीमाइज और मैक्समाइज देखते हैं ठीक उसी तरह से जीवन में कर सकते हैं। जिस मैन वर्क के साथ है वो मैक्समाइज की एप्रोच में है किन्तु जो रुचि है वो मिनीमाइज होकर हमेशा साथ में रहे। जब भी थोड़ा समय मिले उसको मैक्सीमाइज किया जाए, समझा जाए कि यहां से जीवन क्या कुछ देख सकता है। 

हम क्या पर कर सकते हैं। यकीन मानिये, जीवन का सौंदर्य  बहुत गहरे से छुपा हुआ है। और जब भी चन्द्रमा या शुक्र की अंतरदशाएं आती है, आप किसी ऐसे हुनर के साथ में है वहीं से आपको लोग कहीं न कहीं जुड़ाव की ओर लेकर चलते हैं और आप वहां पर भी आर्थिक प्रगति के साथ सम्मान को प्राप्त करते चले जाते हैं। इसी वजह से जो भी मिले, जिस आधार पर भी मिले हमारी रुचि का हो तो वहां स्वयं को जरूर लेकर चलना है और अपनी प्रस्तुति देनी है। भले ही प्रत्यक्ष तौर पर हो चाहे परोक्ष तौर पर। ये प्रयास करते रहना चाहिए।

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