संवाद ।

 कई तरह के सफर में व्यक्ति को संवाद की अलग-अलग अनुभूतियां होती है। भले ही रेल का हो या फिर आप फ्लाइट के सफर से जा रहे हों या बस में सफर कर रहे हों। वहां पर कई तरह के लोग मिलते हैं, संवाद होते हैं। वो संवाद आपके लिए मन के भीतर की संतुष्टि के आधार को भी देने वाले होते हैं। ये संवाद जहां पर भी मिले, जिस तरह से भी मिले हम उनके साथ चलते रहें। संवाद में भी महत्वपूर्ण तरीके से संतुष्टि है। संवाद आनंद देते हैं। संवाद नई जानकारियां देते हैं। संवाद मन को एक विश्लेषण का नया आधार देने वाले होते हैं। जब भी व्यक्ति किसी इंटरव्यू कॉल की ओर जाता है उसको ऐसा लगने लगता है कि यहां पर संवाद की बजाय मुझसे सिर्फ प्रश्न पूछे जा रहे हैं जो एक तरफा स्थिति है। पूरे तरीके से संवाद नहीं है। किन्तु वहां पर अपने फ्रेम को चेंज कर जाएं और सहज हो जाए और लगने लगे कि ये तो संवाद ही है, आसानी से मेरी जानकारी और अनुभव सामने रख रहा हो तो वहीं से प्रक्रियाओं में संतुष्टि आने लगती है। बुजुर्ग में किसी सफर में हमारे साथ में है वहां से भी आप संवाद कीजिये। जीवन के कितने अनुभव हमको मिलते चले जाएंगे। 

हम तकनीक के साथ जुड़े होते हैं किन्तु तकनीक से थोड़ा हटकर ऐसी स्थितियों में जुड़े, जिससे आत्मिक संतुष्टि का भीतर तक आने लगती है। मानवीय मन को कहीं-न-कहीं ऐसे संवाद की आवश्यकता होती है जो उसकी चिंताओं से दूर हटाकर नया फ्रेम देने वाला हो। काफी हद तक उलझनें इस वजह से भी है कि हम भीतर के संवाद के साथ ही चल रहे हैं। एक परेशानी वर्षों पहले बनी हुई थी, आज भी उस पर चिंताएं चल रही हैं और चिंतन करते चले जा रहे हैं। चिंताओं पर चिंतन सिर्फ और सिर्फ उस परेशानी को और अधिक बढ़ाने वाला होगा। किन्तु जैसे ही हम समाधान पर चिंतन करने लगेंगे तो परेशानियां धीरे-धीरे दूर हटने लगेगी। उसके लिए भी स्व-संवाद में सकारात्मकता की पूरी पूरी आवश्यकताएं रहती है। 

कई बार किसी व्यक्ति विशेष को अपेक्षा होती है, कि मेरे आत्म स्वाभिमान को ठेस नहीं पहुंचे और अगला व्यक्ति संवाद करने की ओर आए। जो भी सम्मानित व्यक्ति घर परिवार का होता है रियेक्टिव होने की बजाय थोड़ा झुक जाएं, संवाद के जुड़े तो देखियेगा रिश्तों में मिठास घुलने लगती है। जब भी ऐसे रिश्ते आसपास हो जहां अपनी बात और समस्याएं रख पाएं वहीं से आप काफी हद तक अपनी मानसिक दृढ़ता को भी बढ़ाने वाले हो जाते हैं और लगने लगता है कि मेरी जैसी सोच कई लोग यहां पर मौजूद हैं। और जो अलग सोच के भी है वो भी मुझको कुछ न कुछ देकर जा रहे हैं। ये ही प्रक्रियाएं संवाद का हिस्सा है। संवाद में व्यवहार और आत्मीयता और हमारी सजगता रहने वाली हो तो काफी हद तक वहां मिठास घुलने लगती है। ऐसे प्रक्रियाओं को अपनाकर चलना आवश्यक है।

Comments