आम जीवन में लोगों की एक शिकायत खुद से होती है कि वो वस्तुओं को रखकर भूल जाते हैं। या फिर आपने कार की चाबी निकाली, पार्किंग की ओर गाड़ी को लगाया। कार से उस चाबी को निकाल चुके थे, उसके बाद घर में चाबी रखी और अब लगातार उस चाबी को ढूंढ़ रहे हैं। और कहते हैं कि उलटे हाथ से चाबी रख दी, इस वजह से मिल नहीं पा रही है। हमने हमारे हाथ से ही वो चाबी रखी है, तो कहीं-न-कहीं हमारी सजगता उस चाबी को रखते समय हमारे साथ में नहीं थी, और हम ये याद नहीं कर पा रहे थे चाबी को यहां रखा है क्योंकि सोच कहीं ओर चल रही थी। हम अवेयर तो है, गाड़ी को पार्किंग कर दिया वहां से चाबी को निकाल दिया। घर में लाकर रख भी दी। किन्तु अब लगातार उसे ढूंढ़ रहे हैं। कुछ इम्पोर्टंट नोट बनाए, वो हैंड रिटर्न नोट है, उसके बाद फाइल में रख दिया। एक से डेढ़ घंटा लग जाता है उस फाइल को ढूंढऩे में। इस तकनीक के क्षेत्र में ऐसी वर्चुअल पोजीशन चलती है। डेबिड कार्ड है, क्रेडिट कार्ड है, बैंक की डिटेल्स है, मेल की स्थितियों के पासवर्ड है, वो लिखकर रखते हैं, किन्तु जब उसकी आवश्यकता होती है तो घंटे से डेढ़ घंटे तक लगातार पेपर को चैक करना पड़ता है उसके बाद जाकर वो पासवर्ड मिल पाता है या फिर पुन: रिकवर करने की ओर जाना पड़ता है वो भी एक लेंदी प्रोसेस है।
यदि हम सजगता को किसी उदाहरण के साथ समझना चाहते हैं तो ये एक प्रीसाइज़ उदाहरण है कि चाबी हमने हमारे साथ ही रखी है। पासवर्ड हमने हमारे हाथ से लिखा है। किन्तु अब वो मिल नहीं पा रहा है। वजह यह है कि दिमाग उस समय कुछ और सोच रहा था, घर के अंदर कुछ फस्र्टेेशन के साथ एंटर हुए या फिर एग्रेसिव मोड में थे कि जब चाबी रखी तब हमारी विचारधारा या सजगता है वो जुड़ी हुई ही नहीं थी। इसी वजह से यह कहा जाता है कि आप आज इस क्षण में जीने वाले रहें। किन्तु व्यक्ति लगातार या तो आगे आने वाले क्षण के प्रति भागता है या फिर पीछे जो उसने कामकाज किए हैं, उसके बारे में बारम्बार सोचता हुआ ये गलतियां कर बैठता है। और यहीं से हम कहीं-न-कहीं अपनी अवेयरनेस के साथ तो होते हैं किन्तु सजगता के साथ नहीं होते।
आप देखिये, एक व्यक्ति सड़क पर चल रहा है, उसको मालूम है कि मेरी लेन कौन सी है, किन्तु उस लेन में चलते हुए आगे ट्रेफिक की पोजीशन में जाम नजर आता है तो वहां पर वो लगातार हार्न बजाने का काम करता है। मालूम है कि जब तक आगे के जो सारे ही वाहन नहीं बढ़ेंगे तब तक हम भी नहीं बढ़ सकते। किन्तु आप सजगता वहां नहीं है, हम सिर्फ अवेयरनेस के साथ कामकाज को करते चले जा रहे हैं और वहीं से जीवन की जो रिदम है वो हम खोने बैठते हैं।
सुबह-सुबह जल्दी तैयार होकर ऑफिस पहुंचना है,, उसके बाद वहां पर सारे ही कामकाज फारिख करने है, लंच की ओर जाना है, आगे से आगे जीवन भाग रहा है। खुद को टास्क दे रहा है। किन्तु वर्तमान क्षण बीत रहा है वहां पर सजगता, जो हमारी उस क्षण के प्रति एकाग्रता होनी चाहिए, समर्पण होना चाहिए वो कहीं-न-कहीं कम रहता है नहीं तो मजाल है कि हम चाबी रखें और भूल जाए। इसी वजह से है कि दिमाग कहीं न कहीं दूसरे विचारों में निमग्न होता चला जा रहा है। इसी वजह से प्रयास किया जाना चाहिए कि छोटे-छोटे प्रयोगों के साथ खुद को अवेयरनेस से हम सजगता की ओर ले कर जाएं और सजगता के साथ चलते हुए प्रत्येक स्तर के ऊपर जो क्षण व्यतीत हो रहा है उसके साथ में खुद को जोडऩे का कार्य भी जरूर करें।
आज के समय अंदर इसके बारे में बहुत सारी परिभाषाएं सुनने को मिलती है। मेरे सामने भी ये विषय रखा गया था इसी वजह से मैंने चर्चा के साथ लिया। तो हम कहीं न कहीं ऐसी प्रवृतियों के साथ खुद को जोड़े और अलग तरीके की स्पष्टता नजर आने लगेगी जो भावी भविष्य की जबरदस्ती की चिंताएं हमारे साथ जोड़े बैठे हैं उनसे भी एक दूरी बनती चली जाएगी।
Very nice . Bhoolte to sabhi hain lekin iska karan pata nhi tha ,vo aapne itne saral dhang se samjha diya . Ab jarur hum apke khe anusar sajag rehker hrek karya ko krenge.Thanks a lot for such thought.
ReplyDeleteजी धन्यवाद
Delete👌👍
ReplyDeleteSir aapki hindi itni achhi hai.. agar aap angrezi shabdo ka prayog nahi karenge to aur bhi anand aayega padne mein.
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