छोटी समस्याओं से पार पाना, छोटे लक्ष्य से बड़े लक्ष्य प्राप्त करना ।

व्यक्ति कई बार अपने मित्रों के साथ एक बात कहता है कि मुझे कुछ बड़ा करना है। एक बड़ा नाम इस दुनिया में छोड़कर जाना है। ऐसा कार्य करूं न जाने कितने उससे प्रभावित हों, उनका भला हो, मैं लोगों का सहयोग कर पाऊं और स्वयं के लिए अर्थ तंत्र की प्रधानता हासिल कर पाऊं। ये शब्द कई बार जब हम त्योहारों में अपने दोस्तों के साथ होते हैं, तो दोहराते हैं और इसी गूंजन को थोड़े से दिनों में स्वयं से पीछे भी छोड़ देते हैं। कामकाज जद्दोजहद कह लीजिये या संकल्प शक्ति का पीछे छूट जाना कह लीजिये, ऐसी प्रवृतियों की ओर व्यक्ति अग्रसर नहीं हो पाता। किन्तु यदि छोटे-छोटे लक्ष्य बनाने की स्थितियों से भी पहले, जो छोटी छोटी समस्याएं जीवन में है, उन पर यदि हम एकाग्र चित्त होकर मंथन करते हैं तो वहां से समस्याओं के समाधान निकलकर आते हैं, उन समस्याओं से जब व्यक्ति पार पाता है तो उसके सामने छोटे छोटे लक्ष्य होते हैं। उन लक्ष्यों के बाद कुछ बड़ा हासिल पाने की चाह रखते हैं तो उसकी रूपरेखा बनने लगती है। अंततोगत्वा व्यक्ति वहां पहुंचने वाला होता है। यात्रा लम्बी और जद्दोजहद भरी है। किन्तु यह यात्रा ही सुखद है। जहां पहुंचना है वो कोई मंजिल नहीं है वो आगे से आगे चलने की स्थिति है। 

जब भी सोच को  बड़ा करना है वो वहां तक पहुंचता है तो बड़ा नजर आता है, ये अलग स्थिति है। किन्तु हम बात कर रहे हैं छोटी छोटी समस्याएं है उसका समाधान पाना किस तरह से आवश्यक है। आप देखिये, कि एक व्यक्ति बारम्बार ये कहता है कि कोई भी कामकाज मुझे ऑफिस में सौंपा जाए, व्यापार में सौंपा जाए या घर परिवार में सौंपा जाए, जब उसकी डेड लाइन पास में होती है, तब ही मैं वो कार्य पूर्ण करने की ओर जा पाता हूं। किन्तु कार्य पूर्ण कर देता हूं, जद्दोजहद और उलझनें बहुत आती हैं। व्यक्ति स्वयं सोचें उसके इसी स्टेटमेंट्स के साथ कांट्राडिक्शन जुड़े हुए हैं। ये समस्या है या फिर वाकई में ऐसी प्रवृति बन चुकी है जिसको वो स्वीकार कर चुका है और स्वयं के व्यक्तित्व के साथ उसको जोड़ चुका है। तो वहीं आप देखिये, लोग कहते हैं सुबह उठना चाहता हूं। सुबह बेहतर लगता है, किन्तु आलस्य इतना हावी रहता है कि उठ ही नहीं पाता। ये भी एक समस्या है। 

मैं रियेक्टिव हो जाता हूं, कोई भी उकसावे में लाता है मैं वहां पर चुप रह नहीं पाता। ये सारी ही प्रवृतियां है जो छोटी छोटी समस्याओं के साथ में है। मैं अपनी भाषा के ऊपर पूरे तरीके से एक कमांड स्टेबलिस करना चाहता हूं किन्तु उसके लिए तैयारी कितनी हुई है। भीतर के मंथन को मांजने का कार्य किया है, ये सबसे आवश्यक गतिविधि है। शेयर मार्केट में आप दस वर्षों के अंदर बड़ी सफलता चाहते हैं। आज क्या शुरुआत हुई है। आज हम संभावना से गणना की ओर, गणना से विश्लेषण के साथ बढ़े है, जब ये एक प्रोसेस सामने आने लगता है तो व्यक्ति को समझना चाहिए कि उस क्षेत्र में वो निरन्तर एक रफ्तार के साथ में है। 

ज्योतिष विज्ञान में कहा जाता है कि जब आप अपनी कुंडली से ऊपर उठकर किसी और कुंडली तक पहुंचने की शुरुआत करते र्हैं तो वहां से आप वाकई में ज्योतिष विज्ञान के छात्र बनने की ओर अग्रसर होते हैं। ये मूल मंत्र है। ये छोटी छोटी समस्याएं हैं जिनसे पार पाकर ही व्यक्ति आगे बढ़ सकता है। किन्तु जब तक अपने चिंतन के भीतर ये अवस्था नहीं आती तब तक हम सिर्फ त्योहार से त्योहार स्वयं को यही और दोस्तों के यही बोलते रह जाते है कुछ बड़ा करना है। और जीवन इसी तरह निकलता चलता जाता है। छोटी समस्याओं से पार पाना, छोटे लक्ष्य से बड़े लक्ष्य प्राप्त करना ये क्रमबद्ध उन्नति रहे तो जीवन किस तरह से चमत्कारिक हद के ऊपर बढ़ता है।

Comments

  1. सुंदर विवेबचन

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  2. How r u bro missing u frm last 2 days . .. may God bless u see you soon on dainik rashifal

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