चलायमान रहना जीवन के लिए अच्छा है।

 भागदौड़ भरी जिंदगी में भी चलने का समय जरूर निकालिये। चलना हृदय के लिए अच्छा है। मस्तिष्क की गतिविधियों में तनाव सम्मिलित होते हैं उससे बाहर निकलने के लिए भी चलना अच्छा है। नए विचारों से जुडऩे में चलने में बहुत अधिक बेहतरी है। मेडिको टर्म में भी कहा जाता है कि प्रत्येक दिन 30 से 35 मिनट चलने के लिए समय जरूर निकालिये। ये स्वास्थ्य की परिभाषा के साथ जुड़ी स्थिति है। लेकिन चलायमान रहना पूरी जिंदगी के लिए अच्छा है। कहीं पर भी ठहरने का प्रयास करना स्वयं के लिए दुविधाओं को जन्म देने का एक बहुत बड़ा आधार है। भले ही आप रिटायरमेंट की ऐज के आसपास हो और स्वयं के भीतर इस जंक्शन बना चुके हों कि रिटायरमेंट के बाद एक ठहराव आएगा। ठहराव की गतिविधियों के साथ संशय आने लगते हैं। 

एक नौकरी पेशा जीवन के अंदर चलते हुए ले-ऑफ जैसी स्थितियां मिली। हम प्रयासों के साथ में आस छोड़ चुके, किन्तु वहां पर भी चलायमान रहना। भले ही किसी मित्र के साथ किसी कामकाज में जुडऩा या फिर इन दुविधा जनित स्थितियों में अपनी सीढ़ी को अपडेट करते रहना, ऐसे लोगों से बातचीत करना जो कोई न कोई समाधान आपको बता सकते हैं और उसी गतिविधि के अंदर कहीं पर भी ठहरना नहीं। जीवन को वहां पर रुककर इस तरह से नहीं देखना कि अब क्या होगा और कैसे करेंगे। हम करने का प्रयास करेंगे। कैसे करेंगे और करने का प्रयास करेंगे इन दोनों में बहुत बड़ा अंतर है। व्यापार में दिक्कतें और दुविधाएं आई हम यही सोचते रह गए कि इतना कुछ हासिल किया आज पुन: वहीं पर है। किन्तु वहां पर भी उस क्षण को व्यर्थ किए बिना फिर से चलायमान रह जाना ये पूरे ही जीवन कामकाज पारिवारिक स्तर के लिए बहुत अच्छा है। चलना और चलायमान रहना ये दोनों ही गतिविधियां जो व्यक्ति स्वीकार कर लेता है उसकी स्वीकारोक्ति जीवन के प्रति बहुत गहराई के साथ बढऩे लगती है। एक उम्र के बाद में हमारा युवाओं के प्रति एक नजरिया बदलता है। कुछ स्थितियां हम अलग तरीके से देखते हैं। युग से युग में तुलना होती है। 

एक डिकेड के साथ पोजीशन बदली है, व्यक्ति कई बार उसको देखकर कुंठाओं से ग्रसित होता है। किन्तु वहां पर भी यदि व्यक्ति चलायमान है उस युग धर्म की गतिविधियों के साथ में जुड़कर स्वयं को देख रहा है तो वहां से भी बेहतरी निकलकर आती है। और जीवन चलायमान रहने की ओर जाता है। जब भी हम चलायमान रहेंगे दूसरे की सोच को भी स्वीकार करने वाले होंगे। और जहां पर रुक जाएंगे वहां पूरे तरीके से खुद को ब्लॉक कर चुके होंगे। तो ऐसी स्थितियां नहीं आए। ऐसी दुविधाएं नहीं आए और ऐसी परेशानियों से जीवन आजाद रहे इसके लिए चलना सबसे ज्यादा बेहतर है। इस प्रक्रिया को जीवन में अपनाने की आवश्यकताएं हैं। ठहराव से जीवन जितना दूर रहेगा उतनी बेहतरी निरन्तर चलती चली जाएगी। भागते दौड़ते इंसान थक सकता है, किन्तु जब चलायमान रहेगा तो वह बहुत लम्बी दूरी की यात्रा तय कर सकता है।

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