मन की कुंठा को बाहर निकालें ।

 वर्किंग प्लेस में कलिग के साथ बहस हो गई। व्यापारिक जीवन में कम्पीटिटर आ गया जो परेशानियां उत्पन्न कर रहा है जिससे लगता है कि अब मार्केट को सस्टेंस करना बेहतर नहीं है। मन में विद्रोही विचार आता है, जो कहता है कि इसको जवाब जरूर देना है। कहीं न कहीं नीचा दिखाना का प्रयास वो भी करना है जिससे संतुष्टि आएगी मन के भीतर। अन्यथा ये व्यक्ति हावी होता चला जाएगा। ये विचार बारम्बार मन में आता है। नौकरी पेशा जीवन में उच्च अधिकारी से बहस हो गई। मन में ये रहता है कि एक दिन आपसे ऊंचे पद पर पहुंचुंगा और उसके बाद बताऊंगा कि बॉस क्या होता है। वर्षों तक मन की कुंठा को भीतर रखना होगा जब ही जाकर उस व्यक्ति को नीचा दिखाने के आधार को पाएंगे। या उसको निर्देश दे पाएंगे। जो आज व्यवहार हमारे साथ किया है, हम वही व्यवहार मन में क्रोध को पालते हुए उसके लिए करना चाहते हैं। 

वहीं व्यापारिक जीवन में हम वर्षों के साथ एक कार्य के साथ है। एक व्यक्ति नएपन के साथ आता है, काम्पीटिशन देता है। मन में आता है कि अब आप देखना कॉम्पीटिशन क्या होता है। बारम्बार रेट नीचे ला रहे हैं, जहां नकारात्मकता शुमार है। ये परेशानियां आज मुझे दे रहे हैं, किन्तु अभी तो व्यापार की शुरुआत की है। वहीं दीखिये मैं क्या करता हूं। वहीं विचार में परिवर्तन आ जाए और हम यह सोचे कि जो नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा है, बारम्बार नकारात्मकता की ओर ले जा रहा है। हम उसके प्रति स्नेह का भाव रखेंगे। हम चर्चाओं में मृदुभाषिता रखेंगे। मन के भीतर से ऐसा प्रयास करेंगे, बनावटीपन से नहीं, कि कुछ हुआ ही नहीं है। ये आने जाने वाली स्थितियां है। उस व्यक्ति के साथ बदलाव की स्थितियां कहीं न कहीं जुदाई असर को लाने वाली होती है। ईगो की जो इनविजिबल वॉल को गिराना पड़ता है। 

मन के भीतर के दुराव को कम करना पड़ता है किन्तु वहां सुकून अधिक तरीके से है। आप वर्षों के बाद विजय प्राप्त करने की सोच रहे थे, हो सकता है कुछ ही दिनों में विजय प्राप्त करके आप आगे बढ़ जाएं। वो व्यक्ति भले ही वहां पर एक जस्टिफिकेशन या विजय के साथ हो, कि व्यक्ति झुक गया। किन्तु विजय आपकी हुई वहां पर। दूसरे आधार पर व्यापार में काम्पीटिशन दे रहा है। सीधे बातचीत करने पहुंच जाता है। हमारा भी नुकसान है आपका भी है क्यों न मिल जुलकर व्यापार किया जाए। व्यक्ति यही कहेगा कि देखा, इतने समय से व्यापार कर रहा व्यक्ति लाइन पर आ चुका। किन्तु उसे मालूम नहीं है कि आप उसे सही रास्ता दिखा चुके हैं जहां से व्यापारिक हदें लाभ की ओर जाता है। यहीं सोच को मोल्ड करने की आवश्यकता होती है। 

जहां भी फ्लो नकारात्मकता के साथ चले वहीं पर ब्लॉक किया और यू टर्न ले लिया, आप देख लीजिये, रास्ता काफी हद तक आसान हो जाता है। लोग हमको डिस्ट्रेक्शन देते हैं हम उसे फ्लो में ले लेते हैं। लोग हमको बारम्बार बहकावे की ओर लेकर आते हैं, हम खुद को फ्लो देते हैं वहां पर भी रुकने की आवश्यकता है। किन्तु जहां डिस्ट्रेक्शन है वहां फ्लो को बढ़ाते चले जाना चाहिए। दोनों ही स्थितियां अलग है। अभ्यास मांगती है, किन्तु इसी अभ्यास के साथ में इग्नोरेंस की खुशी भी जन्म लेती है और कहीं न कहीं भीतर की सोच है वो लोगों से एक तरह से अलग होती चली जाती है।

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