दुर्गा सप्तशती पाठ से पाएं मां का आशीर्वाद ।

 दुर्गा सप्तशती पाठ से पाएं मां का आशीर्वाद

वैसे तो किसी भी ईष्ट की आराधना प्रतिदिन करनी चाहिए जिससे तकलीफें दूर होकर मन की संतुष्टि प्राप्ति होती ही है, किन्तु विशेष पर्व-त्योहार पर विशेष पूजा-आराधना शीघ्र फलदायी और ऊर्जा प्रदाता मानी जाती है। ऐसे ही नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना नित्य नियमपूर्वक और विधि-विधान से करने से मां अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होने वाली मानी गई है। दुर्गा सप्तशती का पाठ यदि नित्य प्रति संभव नहीं हो तो केवल नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष महात्म्य शास्त्रों-पुराणों में बताया गया है, जिसका वाचन मनोवांछित फलों की प्राप्ति और आपदाओं से मुक्ति दिलाने वाला मना गया है। दुर्गा सप्तशती के पाठ का श्रवण-वाचन अचूक फल देने वाला और देवी की कृपा पाने वाला होता है।

दुर्गा सप्तशती के अध्यायों में मां के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया गया है जिसे देवताओं द्वारा गुणगाण किया गया है और मां का आशीर्वाद प्राप्त किया है। दुर्गा सप्तशती अध्याय 1 मधु कैटभ वध। दुर्गा सप्तशती अध्याय 2 देवताओं के तेज से माँ दुर्गा का अवतरण और महिषासुर सेना का वध। दुर्गा सप्तशती अध्याय 3 महिषासुर और उसके सेनापति का वध। दुर्गा सप्तशती अध्याय 4 इन्द्राणी देवताओं के द्वारा माँ की स्तुति। दुर्गा सप्तशती अध्याय 5 देवताओं के द्वारा माँ की स्तुति और चन्ड मुंड द्वारा शुम्भ के सामने देवी की सुन्दरता का वर्तांत। दुर्गा सप्तशती अध्याय 6 धूम्रलोचन वध। दुर्गा सप्तशती अध्याय 7 चण्ड मुण्ड वध। दुर्गा सप्तशती अध्याय 8 रक्तबीज वध। दुर्गा सप्तशती अध्याय 9 -10 निशुम्भ शुम्भ वध। दुर्गा सप्तशती अध्याय 11 देवताओं द्वारा देवी की स्तुति और देवी के द्वारा देवताओं को वरदान। दुर्गा सप्तशती अध्याय 12 देवी चरित्र के पाठ की महिमा और फल और दुर्गा सप्तशती अध्याय 13 सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान।

नवरात्र के दौरान माता को प्रसन्न करने के लिए साधक विभिन्न प्रकार के पूजन करते हैं जिनसे माता प्रसन्न उन्हें अद्भुत शक्तियां प्रदान करती हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ विधि-विधान से किया जाए तो माता बहुत शीघ्र प्रसन्न होती हैं।

दुर्गा सप्तशती पाठ विधि-  सर्वप्रथम साधक को स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए। तत्पश्चात वह आसन शुद्धि की क्रिया कर आसन पर बैठ जाए। माथे पर अपनी पसंद के अनुसार भस्म, चंदन अथवा रोली लगा लें। शिखा बाँध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर चार बार आचमन करें। इसके बाद प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरुजनों को प्रणाम करें, फिर पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ इत्यादि मन्त्र से कुश की पवित्री धारण करके हाथ में लाल फूल, अक्षत और जल लेकर देवी को अर्पित करें तथा मंत्रों से संकल्प लें। देवी का ध्यान करते हुए पंचोपचार विधि से पुस्तक की पूजा करें। फिर मूल नवार्ण मन्त्र से पीठ आदि में आधारशक्ति की स्थापना करके उसके ऊपर पुस्तक को विराजमान करें।

तत्पश्चात पूरे ध्यान के साथ माता दुर्गा का स्मरण करते हुए दुर्गा सप्तशती पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं। दुर्गा सप्तशती को सात सौ श्लोकों में समाहित किया गया है इसी वजह से  उसका नाम शप्तशती है। ऐसे महिमामंडित दुर्गा सप्तशती के पाठ करने से भक्त पर माँ जगदम्बा की असीम कृपा प्राप्त होती है।

Comments

  1. Sir, Ladkiya kis prakar ye paath kre?? Kya koi aur v niyam h??

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