भय पर विश्वास हमेशा हावी रहता है ।

 प्रत्येक आने वाले क्षण, प्रत्येक कर्म के साथ एक अनजाना भय हमारे साथ चल रहा होता है। तो वहीं हरदम बीते हुए क्षण की स्थितियों के साथ जो अनुभव मिला है वर्तमान क्षण के प्रतिबिम्बि में भावी भविष्य की आहट में एक विश्वास भी साथ चल रहा होता है। जीवन वहीं से अपना पूरा सफर तय करता है कि हमारे भय के ऊपर विश्वास कितने हावी हैं। जब भी हम किसी अनजाने रास्ते के ऊपर चल रहे होंगे। घनी काली अंधेरी रात होगी वहां यह विश्वास करना मुश्किल होगा कि शायद हम सवेरा देख पाएंगे। क्या इन संघर्षों का कभी अंत भी होगा। ये जो सुनापन चारों ओर है क्या ये रात्रि बीतेगा और उजाला चारों ओर होगा। वहीं जीवन एक  मधुर संगीत को सुनने लायक होगा। बस यहीं से हम स्वयं के भीतर एक विश्वास को स्थापित कर सकते हैं। इस प्रत्येक विचार के साथ ये जोड़ दिया जाए कि थोड़ा-सा इंतजार और है। हम सुबह देखेंगे, उजाला देखेंगे। 

मानवीय जीवन जो प्रत्येक संघर्ष में विजय प्राप्त करके इतना आगे बढ़ेगा ये पुन: अपने नव स्वरूप को ग्रहण करने वाला होगा। जब भी किसी भी स्थिति का भय सताए तो ये याद रखा जाना आवश्यक होता है कि हमने कई बार चुनौतियों से पार पाया है। कई क्षण ऐसा लगा कि शायद जीवन में अब कुछ भी नहीं बचा है। परन्तु पुन: विश्वास उत्पन्न होता है। कई बार खुद के भीतर से, कई बार किसी व्यक्ति के  साहस के साथ में हम स्थितियों में चलते हैं। नव जाग्रति की ओर जाते हैं और वहीं से स्वयं को ये विश्वास दिलाते हैं कि शायद वो दिन दूर नहीं जब हम स्वयं को पुन: सफलता की परिभाषाओं के साथ लेकर चलने वाले होंगे। 

हम प्रत्येक क्षण यही प्रयास करें कि अपने कर्म के साथ अनुभव बनाएं। अपने कर्म की अनुगूंज को स्वयं महसूस करें। जो कदम आगे बढ़ते हैं उसको भी विजय के सिरे के रूप में मानना चाहिए वहीं से अंततोगत्वा सफलता सामने आने लगती है। जितनी भी झुंझलाहट है, ये साथ चलेगी। प्रत्येक क्षण ये लगेगा कि हम क्या कर रहे हैं, क्यों कर रहे हैं? इस ओर जाएंगे क्यों हम भौतिक स्थितियों को हासिल करने जा रहे हैं, एक दिन जीवन अवसान की ओर जाएगा। जब तक जीवन है ऊर्जा है, जब तक ईश्वर प्रदत्त व्यवस्थाओं के साथ अंतिम सांस के साथ चलता है तो हर क्षण याद रखे जब भी हम अपनी भावी संभावनाओं को देखूं तो वहां कर्म और उत्साह को साथ जोड़ू और वहां हरेक समय खुद को ये कहता रहूं कि नकारात्मकता आएगी, परेशानियां आएगी, किन्तु अंततोगत्वा मेरा ये सफर एक पगडंडी से पार पाता हुआ किसी न किसी बड़े रास्ते की ओर जरूर पहुंचेगा। 

यही विश्वास की पूंजी व्यक्ति यदि अपने भीतर जीवन में लेकर चलता है तो संचित निधि हो या नहीं हो कोई फर्क नहीं पड़ता। विश्वास की पूंजी हरेक क्षण ये विश्वास दिलाती है कि आगे जाकर हम बहुत कुछ हासिल करने वाले होंगे।

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