आशीष ।

 बहुत बड़ी ताकत और शक्ति प्रार्थनाओं में है। और प्रार्थनाएं जितनी हृदय की गहराइयों से बाहर निकलती है उतना ही व्यक्तिगत जीवन में उसका प्रभाव दिखाई देता है। प्रार्थना के समय व्यक्ति जब मन कितना करुणा के साथ भरा हुआ है, कितना आत्मीयता के बोध के साथ चल रहा है और कितना उस सर्वोच्च सत्ता के प्रति वो नतमस्तक है। ये सारी ही स्थितियां प्रार्थनाओं में शुमार रहती है। जहां डर का स्थान दूर-दूर तक नहीं है। तो वहीं जब भी कोई बुजुर्ग सम्मानित जीवन या जीवन में जो बड़े से बड़ा व्यक्ति है जब वो आशीर्वाद देता है तो वहां पर भी स्नेह की अतिरेक की स्थितियां होती है। इन सबसे दूर हटकर आशीष के मायने में भी जीवन में बहुत गहरे से उतर कर आते हैं।

 किसी व्यक्ति की आपने पूरे तरीके से सेवा की, ख्याल रखा। उसकी प्रत्येेक जरूरत के समय आप वहां मौजूद रहे और उसके बाद आपने कोई भी कामना नहीं की कि उससे प्रोत्साहन या प्रशंसा भरे शब्द मिले या जीवन के अंदर आप बहुत अच्छे से रहे ऐसा आशीर्वाद मिले। किन्तु उनके मन से भावों के साथ में एक आशीष मिलती है जिसने ये कहा कि जीवन में आप जो भी प्राप्त करने वाले हों, आप पूर्णता के साथ उसको हासिल करने की ओर जाएं। हमारी मन से ये भूरी-भूरी आशीष है। आशीष व्यक्तिगत जीवन के अंदर बहुत बड़ा स्तर हासिल है। आशीर्वाद व्यक्ति मांगकर हासिल कर सकता है, किन्तु आशीष जब भी मन के भीतर की सारे ही पूर्णता, सेवाभाव और कर्तव्य के बोध के साथ निकलकर आती है तो वो फलीभूत होती है। यहां एक किलग भी आपको आीशष दे सकता है। वो जरूरत के अंदर फंसा हुआ था, कामकाज को पूरा नहीं कर पा रहा था, आप चार घंटे निरन्तर चार महीने तक ऑफिस में उसके लिए एक्स्ट्रा रुकते हैं, वो अपने कामकाज के साथ है, आप उसके कार्य की जिम्मेदारी लेकर चलते हैं। अंततोगत्वा वो आपको कहता है कि मन से आशीष है कि आप बहुत आगे बढ़े। आप लोगों का ऐसे ही ध्यान रखने वाले हों। ये भाव है। 

जो मन के भीतर से निकलकर आते हैं और व्यक्तिगत जीवन में एक अलग संतुष्टि का आधार देने वाले होते हैं। जब भी हम कामना से मुक्त होकर किसी भी महत्वाकांक्षा से दूर होकर ऐसी स्थितियों में जुड़ते हैं तो वहीं से आशीष का प्रवाह निकलकर आता है। जो एक निर्मल धारा को देता है। जो मन के अहसास के साथ लेकर चलता है। जब अगला व्यक्ति किसी स्तर पर तृप्त हुआ फिर आपको जो शब्द और मन के भाव के साथ में स्पंदन मिला वो ही आशीष का सबसे बड़ा गुणक है। ये ताकतें अदृश्य है। किन्तु व्यक्तिगत जीवन में इनका प्रभाव बहुत गहरा है। तो प्रार्थनाएं हों, उसके साथ जुटे रहिये। आशीर्वाद हो, जहां से मिले उसको लेते रहिये। और आशीष हो जहां भी हम किसी व्यक्ति के साथ जुड़ते हुए और उसी अवस्था में निर्लिप्त रहते हुए आगे बढ़े और वहां से जो आशीष मिले उसके साथ में भी संतुष्टि अनुभव करते रहिये। परोक्ष तौर के ऊपर चलती हुई ये सारी ही स्थितियां प्रत्येक स्तर पर मिल रहे धन और सम्मान से अलग है। मन के भीतर का स्वाभिमान जाग्रत होता है आप देखिये, जीवन में किस तरह के आधार लेता है और यही परिवर्तन का रूपक मात्र है।

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